‘ऑपरेशन सिंदूर’ में सफल इस्तेमाल के बाद भारत ने और हेरॉन एमके-2 ड्रोन खरीदने के लिए करार किया

‘ऑपरेशन सिंदूर’ में सफल इस्तेमाल के बाद भारत ने और हेरॉन एमके-2 ड्रोन खरीदने के लिए करार किया

‘ऑपरेशन सिंदूर’ में सफल इस्तेमाल के बाद भारत ने और हेरॉन एमके-2 ड्रोन खरीदने के लिए करार किया
Modified Date: December 2, 2025 / 10:21 pm IST
Published Date: December 2, 2025 10:21 pm IST

(जीशान हैदर)

तेल अवीव, दो दिसंबर (भाषा) ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ‘हेरॉन एमके-2’ के सफल इस्तेमाल के बाद भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए उपग्रह से जुड़े इन ड्रोन विमानों की अतिरिक्त खेप की खरीद के लिए इजराइल के साथ आपातकालीन प्रावधानों के तहत एक करार पर हस्ताक्षर किए हैं। इजराइली रक्षा उद्योग से जुड़े एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) के अधिकारी ने बताया कि हेरॉन एमके-2 मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) भारतीय सेना और वायुसेना के पास पहले से ही उपलब्ध हैं तथा अब इन्हें नौसेना में भी शामिल किया जाएगा।

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अधिकारी के मुताबिक, सितंबर में रक्षा मंत्रालय ने 87 एमएएलई ड्रोन की खरीद के वास्ते आरएफपी (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) जारी किया था, जिसमें ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किया गया था, जो विदेशी साझेदारी की अनुमति देता है।

उन्होंने कहा, “हमारे लिए भारत एक प्रमुख ग्राहक है। हमारी साझेदारी तीन दशकों और कई पीढ़ियों से चली आ रही है।”

अधिकारी ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं ने आपातकालीन खरीद के लिए हेरोन एमके-2 का चयन किया है। हालांकि, उन्होंने संख्या का खुलासा नहीं किया।

अधिकारी ने कहा, “हमें बहुत गर्व है कि तीनों सेनाओं ने हेरॉन मार्क-2 को खरीदने और इस्तेमाल करने का फैसला लिया है।”

‘हेरॉन एमके-2’ मध्यम ऊंचाई पर लंबे समय तक उड़ान भरने में सक्षम (एमएएलई) यूएवी है, जो 35,000 फुट की ऊंचाई तक पहुंचने और लगातार 45 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम है। इजराइली वायुसेना के अलावा दुनियाभर की 20 सैन्य इकाइयां इस ड्रोन का इस्तेमाल करती हैं।

‘मेक इन इंडिया’ पहल के बारे में आईएआई अधिकारी ने कहा, “हम ‘मेक इन इंडिया’ से पूरी तरह से वाकिफ हैं और इससे जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने स्थानीय भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।”

अधिकारी ने बताया कि इनमें से एक साझेदार एचएएल है, जबकि दूसरा एलकॉम है। उन्होंने कहा कि आईएआई का इरादा न केवल इन उन्नत प्रणालियों की आपूर्ति करना है, बल्कि भारत में इनका निर्माण भी करना है।

अधिकारी ने कहा, “हम भारत में ही इन प्रणालियों का निर्माण करना चाहते हैं। इसलिए यह हेरॉन का भारतीय संस्करण होगा।”

उन्होंने कहा कि इस महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए महत्वपूर्ण प्रयास और 60 फीसदी से अधिक स्वदेशी भारतीय विनिर्माण सामग्री के इस्तेमाल का लक्ष्य शामिल है।

भाषा पारुल सुरेश

सुरेश


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