लंदन, 21 मार्च (भाषा) भारतीयों सहित विभिन्न देशों के छात्रों ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को ज्ञापन देकर अंग्रेजी परीक्षा में घोटाले के कारण ‘अन्यायपूर्ण’ तरीके से उनका वीजा रद्द किए जाने के मामले में हस्तक्षेप कर कार्रवाई का आग्रह किया।
यह मामला 2014 का है जब बीबीसी ‘पैनोरमा’ की पड़ताल में सामने आया था कि वीजा के लिए अनिवार्य भाषाई परीक्षा के दौरान ब्रिटेन में दो परीक्षा केन्द्रों पर धांधली हुई थी।
ब्रिटिश सरकार ने ऐसे केन्द्रों के खिलाफ विस्तृत कार्रवाई की और इस कारण इन केन्द्रों पर परीक्षा देने वाले सैकड़ों-हजारों छात्रों का वीजा रद्द हो गया।
स्वयंसेवी समूह ‘द माइग्रेंट वॉइस’ इससे प्रभावित छात्रों का समर्थन कर रहा है और सोमवार को 10 डाउनिंग स्ट्रीट को दिए गए ज्ञापन को लेकर उसने समन्वय भी किया।
‘माइग्रेंट वॉइस’ की निदेशक नाजेक रमदान ने कहा, ‘‘समकालीन ब्रिटिश इतिहास में हुए सबसे बड़े घोटालों में से यह है। सरकार की शुरूआती प्रतिक्रिया अन्यायपूर्ण थी और इसे वर्षों तक खिंचे जाने दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसे सामान्य से हल से सुलझाया जा सकता था, जैसे कि दोबारा परीक्षा ली जा सकती थी। विद्यार्थी यहां विश्वस्तरीय शिक्षा लेने और दुनिया में सबसे अच्छे छात्र अनुभव लेने आए थे, लेकिन इसकी जगह उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई। अब वक्त आ गया है कि सरकार हस्तक्षेप करे और इस दुःस्वप्न को खत्म करे। इसे समाप्त करने के लिए बस नेतृत्व की जरूरत है।’’
गौरतलब है कि इस घटना के बाद वीजा के बगैर ब्रिटेन में रूकने की अनुमति नहीं होने सहित अन्य कारणों से ज्यादातर छात्र घर लौट गए हैं।
भाषा अर्पणा अर्पणा पवनेश
पवनेश
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