(पुई क्वान चेउंग और स्टीफन लिवस्ले, मेलबर्न विश्वविद्यालय)
मेलबर्न, 29 अप्रैल (द कन्वरसेशन) हमारे घर के पिछले हिस्से में मौजूद छोटे से बागीचे को साल के बारहों महीने एक सुरक्षित और आरामदायक जगह होना चाहिए ताकि हम सर्दियों में परिवार के साथ बैठकर वहां धूप सेंकने का लुत्फ उठा सकें जबकि गर्मियों में ठंडक का एहसास पाने के लिए भी बेहिचक वहां का रुख कर सकें।
लेकिन बागीचे की डिजाइन और रखरखाव को लेकर हम जो फैसले लेते हैं, मिसाल के तौर पर लॉन में प्राकृतिक घास लगानी है या ‘आर्टिफिशियल टर्फ’ बिछाना है, उनके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
‘आर्टिफिशियल टर्फ’ कृत्रिम रेशों से बनी उस सतह को कहते हैं, जो प्राकृतिक घास की सतह की तरह नजर आती है। इसे आम तौर पर खेल के मैदानों और आवासीय लॉन में बिछाया जाता है।
गर्मी के दिनों में ‘आर्टिफिशियल टर्फ’ धूप की गर्मी को अवशोषित कर लेता है, जिससे इसकी सतह काफी गर्म हो जाती है और इसके संपर्क में आने वाले लोगों की त्वचा जल सकती है।
वहीं, प्राकृतिक घास वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से खुद को प्राकृतिक रूप से ठंडा रखने में सक्षम है। ऐसे में बाग के लिए प्राकृतिक घास का चयन ज्यादा बेहतर विकल्प है।
इसके अलावा, आप घर के पिछले हिस्से में मौजूद बागीचे में नियमित रूप से पानी का छिड़काव करके और घनी छांव देने वाले पेड़ लगाकर भी उसे ठंडा रख सकते हैं।
सस्ते विकल्प के पीछे न भागें
-आवासीय लॉन या बालकनी में ‘आर्टिफिशियल टर्फ’ का इस्तेमाल इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि यह न केवल सस्ता होता है, बल्कि इसका रखरखाव भी आसान होता है। इसके अलावा, लोग पानी की बचत के ख्याल से और समय-समय पर घास की कटाई तथा खाद डालने के झंझट से छुटकारा पाने के लिए भी ‘आर्टिफिशियल टर्फ’ का इस्तेमाल करना बेहतर समझते हैं।
हालांकि, कड़ी धूप वाले दिनों में इस तरह की सतहें काफी गर्म हो सकती हैं।
गर्मी के दिनों में ऐसी सतहें किस हद तक गर्म हो सकती हैं, इसका पता लगाने के लिए हमने मेलबर्न में 2023-24 की गर्मियों में ‘आर्टिफिशियल टर्फ’, शुष्क प्राकृतिक सतह और नियमित रूप से पानी के छिड़काव वाली प्राकृतिक सतह के तापमान की तुलना की। हमने लगातार 51 दिन तक तीनों सतहों का तापमान रिकॉर्ड किया।
यह अध्ययन आवासीय परिसरों में हरित स्थान के फायदों को दर्शाने वाली परियोजना का हिस्सा था, जिसका वित्त पोषण हॉर्टिकल्चर इनोवेशन ऑस्ट्रेलिया ने किया था।
त्वचा के जलने का जोखिम
-वयस्क जब लगातार दस मिनट तक 48° डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान वाली सतह के संपर्क में रहते हैं, तो उनकी त्वचा इस कदर झुलस सकती है कि उसका प्राकृतिक स्वरूप हासिल करना नामुमकिन हो जाए।
बच्चों की त्वचा व्यस्कों से पतली और अधिक संवेदनशील होती है, ऐसे में उन्हें 46 डिग्री सेल्सियस तापमान में ही ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
‘आर्टिफिशियल टर्फ’ के उच्च तापमान के संपर्क में आने के कारण त्वचा के झुलसने को स्वास्थ्य जोखिम के रूप में पहचाना गया है।
हमारे ताजा अध्ययन में बेहद गर्म दिनों में ‘आर्टिफिशियल टर्फ’ का तापमान 72 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो महज 10 सेकेंड में त्वचा को इस कदर झुलसा सकता है कि उसका प्राकृतिक स्वरूप हासिल करना नामुमकिन हो जाए। इसके विपरीत, प्राकृतिक घास वाली सतह का तापमान अधिकतम 39 डिग्री सेल्सियस तक गया। यानी इससे त्वचा के बुरी तरह से झुलसने का जोखिम नहीं होता।
बागीचे में पानी देना क्यों जरूरी
-प्राकृतिक घास और पौधे अपनी पत्तियों में मौजूद सूक्ष्म छिद्रों से वातावरण में वाष्प छोड़ते हैं। यह प्रक्रिया न सिर्फ पौधे को गर्म दिनों में पत्तियों के तापमान को नियंत्रित रखने में मदद करती है, बल्कि पत्तियों के आस-पास बहने वाली हवा को भी ठंडक देती है।
गर्मियों में बागीचे में नियमित रूप से पानी का छिड़काव करने के दो बड़े फायदे हैं : पहला, इससे घास और पेड़-पौधे नहीं मुरझाते तथा बाग हरा-भरा दिखता है। दूसरा, पत्तियों में मौजूद सूक्ष्म छिद्र वातावरण में अधिक वाष्प छोड़ते हैं, जिससे बाग अपेक्षाकृत ठंडा बना रहता है।
घनी छांव देने वाले पेड़ लगाएं
-बागीचे में घनी छांव देने वाले पेड़ लगाना उसे ठंडा रखने का सबसे प्रभावी जरिया है। इससे धूप सीधे सतह पर नहीं पड़ती और आसपास बहने वाली हवा भी गर्म नहीं होती।
हमने अपने अध्ययन में पाया कि घनी छांव देने वाला एक अकेला पेड़ गर्मी के स्तर को तीव्र से मध्यम कर सकता है। यही नहीं, छोटे पेड़ भी बागीचे को ठंडा रखने में कारगर साबित हो सकते हैं, बशर्ते उनकी घनी पत्तियां हों और वे छांव प्रदान करती हों।
अध्ययन में यह भी देखा गया कि घनी छांव देने वाले पेड़ अधिक संख्या में लगाने से हवा का प्रवाह बाधित हो सकता है, जिससे उमस और घुटन की शिकायत हो सकती है। गर्म हवाओं को बाहर ले जाने और शरीर को ठंडक प्रदान करने के लिए हवा का अच्छा प्रवाह जरूरी है। इसलिए, बाग में घनी छांव देने वाले पेड़ ज्यादा संख्या में न लगाएं।
(द कन्वरसेशन) पारुल नरेश
नरेश
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