ट्रंप प्रशासन के ‘दक्षता’ लक्ष्यों से बड़े पैमाने पर खाद्यान्नों की बर्बादी

ट्रंप प्रशासन के ‘दक्षता’ लक्ष्यों से बड़े पैमाने पर खाद्यान्नों की बर्बादी

ट्रंप प्रशासन के ‘दक्षता’ लक्ष्यों से बड़े पैमाने पर खाद्यान्नों की बर्बादी
Modified Date: December 1, 2025 / 05:20 pm IST
Published Date: December 1, 2025 5:20 pm IST

वाशिंगटन, एक दिसंबर (द कन्वरसेशन)राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान अमेरिका की सरकार ने बड़े पैमाने पर खाद्यान्न की बर्बादी की है। आव्रजन छापे, शुल्क में बदलाव और खाद्य सहायता कार्यक्रमों में अस्थायी और स्थायी कटौती जैसी नीतियों के कारण किसानों के पास मजदूरों और पूंजी की कमी हो गई है, खेतों और गोदामों में अनाज सड़ रहा है, और लाखों अमेरिकी खाली पेट सोने को मजबूर हैं।

हालांकि, इन आंकड़ों में प्रशासन द्वारा खाद्य पदार्थों को नष्ट किया जाना शामिल नहीं है।

अमेरिकी सरकार का आकलन है कि अमेरिका में 4.7 करोड़ से अधिक लोगों के पास दो वक्त का भोजन नहीं है जबकि संघीय और राज्य सरकारें उनकी सहायता के लिए कार्यक्रमों पर प्रति वर्ष सैकड़ों अरब डॉलर खर्च करती हैं।

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उपरोक्त स्थिति के बावजूद भारी मात्रा में भोजन यानी अमेरिका में कुल खाद्यान्न का औसतन 40 प्रतिशत तक थाली तक पहुंचने से पहले ही खराब हो जाता है। यह मात्रा सालाना 120 अरब थाली के बराबर है। यानी यह भोजन उन 4.7 करोड़ भूखे अमेरिकियों को पूरे साल तीन वक्त का खाना खाना खिलाने के लिए आवश्यक अनाज से भी ढाई गुना है।

इस पैमाने पर बर्बादी आर्थिक बोझ डालती है और यह भोजन उगाने में इस्तेमाल होने वाले पानी और संसाधनों को बेकार कर देती है। इसके अलावा, सड़ते हुए, बर्बाद भोजन से अकेले अमेरिका में 40 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है जो एक ऊष्मा-अवरोधक ग्रीनहाउस गैस है।

भोजन बर्बादी के एक विशेषज्ञ के तौर पर मैंने जनवरी 2025 में ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से इस समस्या को बदतर होते देखा है। इस प्रशासन द्वारा सरकार के कार्यों को अधिक कुशल बनाने के के दावे के बावजूद, हाल की कई संघीय नीतियों ने वास्तव में भोजन की बर्बादी को बढ़ा दिया है।

आव्रजन नीति

फलों, सब्जियों और डेरी जैसे ताजे खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए निश्चित समय-सीमा में कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है जो फसलों के पकने के समय, ताजगी और उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकें।

ट्रंप प्रशासन ने आप्रवासियों को गिरफ्तार कर उन्हें निर्वासित करने के लिए व्यापक अभियान चलाया। इसके तहत आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन, सीमा गश्ती और अन्य एजेंसियां ने सैकड़ों फार्महाउस, मांस प्रसंस्करण संयंत्रों और खाद्य उत्पादन एवं वितरण इकाइयों पर छापेमारी की कार्रवाई की। करदाताओं के अरबों डॉलर के खर्च के परिणामस्वरूप कार्य कर रही इन एजेंसियों ने हजारों श्रमिकों को गिरफ्तार किया है, जिसके कई बार घातक परिणाम भी हुए हैं।

दर्जनों छापों ने न केवल अप्रवासियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन कर परिवारों के सदस्यों को जुदा किया है, बल्कि राष्ट्रीय खाद्य आपूर्ति को भी खतरे में डाल दिया है। खेतिहर मजदूर पहले से ही कम मज़दूरी पर शारीरिक रूप से कठिन काम करते हैं। कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अपनी जान और आजादी के जायज डर के कारण कुछ जगहों पर 2025 के मध्य तक कटाई, प्रसंस्करण और खाद्य वितरण करने वाले 70 प्रतिशत लोग काम पर नहीं आए।

कई खबरें आईं जिनमें बताया गया कि फसलों को खेतों में सड़ने के लिए छोड़ दिया गया है। यहां तक कि अमेरिकी श्रम विभाग ने भी अक्टूबर 2025 में घोषणा की थी कि कृषि क्षेत्र में आक्रमक छापों के कारण खेतिहर मजदूर छिप जाते हैं, भारी मात्रा में खाद्यान्न बिना काटे रह जाता है और इस प्रकार ‘‘आपूर्ति शृंखला में बाधा की वजह से खाद्यान्न की कमी का खतरा’’ पैदा होता है।

विदेशी मदद में कटौती

ट्रंप प्रशासन ने जब 2025 के शुरुआत में अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएड) को लगभग बंद कर दिया था, तब एजेंसी के पास 8,00,000 अमेरिकी डॉलर मूल्य के 500 टन त्वरित खाने योग्य उच्च ऊर्जा वाले बिस्कुट थे, जिन्हें हिंसा या प्राकृतिक आपदाओं के कारण विस्थापित हुए दुनिया भर के लोगों को वितरित करने के लिए संग्रहीत किया जाना था। बिस्कुट वितरित करने के लिए कोई कर्मचारी न होने के कारण, दुबई के एक गोदाम में रखे-रखे ही ये बिस्कुट खराब हो गए।

कथित तौर पर खराब हो चुके इन बिस्कुट को नष्ट करने के लिए 1,25,000 अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त खर्च आया। इसके अतिरिक्त यूएसएड के तहत बांटे जाने वाले 70,000 टन खाद्य पदार्थ भी खराब हो गए।

शुल्क

बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में वैश्विक व्यापार के विकसित होने के साथ-साथ अमेरिकी किसानों को अपनी उत्पादन लागत से भी कम कृषि मूल्यों से जूझना पड़ा। फिर भी, पहले ट्रंप प्रशासन में लगाए गए शुल्क छोटे किसानों को बचा नहीं पाए।

ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद 2025 की शुरुआत में लगाए गए शुल्क से महीनों तक चीन के साथ अमेरिका सोयाबीन व्यापार नहीं हो सका। इस बीच, सोयाबीन की फसल को रखने की कोई जगह नहीं थी। अक्टूबर 2025 के समझौते से कुछ गतिविधियां फिर से शुरू हो सकीं, लेकिन पहले ही इनकी कीमतों में गिरावट आ गई है क्योंकि चीन अपनी विशाल मांग को पूरा करने के लिए ब्राजील और अर्जेंटीना से आयात कर रहा है।

हालांकि सोयाबीन का आयात चीन सुअर पालन उद्योग में भोजन मुहैया कराने के लिए करता है, न कि मनुष्यों के भोजन के लिए। फिर भी सोयाबीन के खराब होने तथा उसके स्थान पर उगाए जा सकने वाले वास्तविक मानव भोजन के संदर्भ में बर्बादी का खतरा मंडरा रहा है।

अन्य कारणों से भी हो रहा अधिक नुकसान

ट्रंप ने दूसरी बार कार्यभार संभालने के बाद प्रशासन में दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से कई कदम उठाए हैं, जिनसे वास्तव में खाद्य अपव्यय में वृद्धि हुई है। खाद्य सुरक्षा कर्मियों को बड़े पैमाने पर नौकरी से निकालने से खाद्य जनित बीमारियों, दूषित आयातों और कृषि रोगाणुओं के फैलने का खतरा बढ़ गया है – जो बड़े पैमाने पर संकट का कारण बन सकता है, उदाहरण के लिए, उटाह राज्य में बर्ड फ्लू से लगभग 35,000 टर्की की मौत हो गई।

इसके अतिरिक्त, प्रशासन ने एक लोकप्रिय योजना रद्द कर दी, जिसके तहत विद्यालयों और खाद्य बैंकों को स्थानीय किसानों से खाद्यान्न खरीदने में मदद मिलती थी, हालांकि योजना रद्द करने की घोषणा से पहले ही बड़े पैमाने पर फसलों की बुआई हो चुकी थीं। ऐसे में अब इन किसानों को नए खरीदार तलाशने पड़ रहे हैं और खरीदार नहीं मिलने पर इन उत्पादों के बर्बाद होने का खतरा रहता था। किसान अपनी खेती को जीविका के लिए आय के प्रमुख स्रोत के तौर पर विश्वसनीय नहीं मान रहे हैं।

इसके अलावा, प्रशासन ने संघीय आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी के बजट में भी कटौती कर दी, जो खाद्य उत्पादकों, रेस्तरां और परिवारों को आपदाओं से उबरने में मदद करती थी – जिसमें खाद्य भंडारण प्रशीतन के लिए बिजली बहाल करना भी शामिल था।

इस साल अक्टूबर 2025 में बजट मंजूरी नहीं मिलने की वजह से अमेरिकी सरकार में ‘शटडाउन’की स्थिति रही और प्रमुख खाद्य सहायता कार्यक्रम,एसएनएपी कई सप्ताह तक अधर में लटका रहा, जिससे लाखों लोगों को अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा।

एसएनएपी कोष से धन पाने वाले किराना दुकानदारों ने लाभार्थियों के लिए छूट की घोषणा की है – ताकि उन्हें भोजन खरीदने में मदद मिल सके और खाद्य पदार्थ सड़ने से पहले बिक जाए। कृषि विभाग ने उन्हें ऐसा न करने का आदेश देते हुए कहा कि एसएनएपी ग्राहकों को अन्य ग्राहकों के समान ही मूल्य चुकाना होगा।

खाद्य पदार्थों की बर्बादी ट्रंप प्रशासन के साथ शुरू नहीं हुई थी। लेकिन प्रशासन की नीतियों ने बर्बादी को और बढ़ा दिया है। हालांकि, वह दक्षता लाने का दावा करता है।

(द कन्वरसेशन)

धीरज पवनेश

पवनेश


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