नेपाल में राजतंत्र समर्थक दल आरपीपी ने राजशाही बहाल करने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन |

नेपाल में राजतंत्र समर्थक दल आरपीपी ने राजशाही बहाल करने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन

नेपाल में राजतंत्र समर्थक दल आरपीपी ने राजशाही बहाल करने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन

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Modified Date: April 20, 2025 / 08:36 PM IST
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Published Date: April 20, 2025 8:36 pm IST

(शिरीष बी प्रधान)

काठमांडू, 20 अप्रैल (भाषा) नेपाल में राजतंत्र समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राजशाही बहाल करने और देश को ‘‘हिंदू राष्ट्र’’ घोषित करने की मांग को लेकर रविवार को प्रधानमंत्री आवास और संसद भवन के पास प्रदर्शन किया।

आरपीपी के करीब 1,500 समर्थक बिजुलीबाजार-बनेश्वर क्षेत्र में एकत्र हुए और “गणतंत्र मुर्दाबाद”, “हमें राजशाही वापस चाहिए” और “नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करो” जैसे नारे लगाए। उनके हाथों में इन नारों वाले बैनर और पोस्टर भी थे।

प्रदर्शन का नेतृत्व आरपीपी अध्यक्ष राजेंद्र लिंगदेन, वरिष्ठ नेता पशुपति शमशेर राणा और नेपाल के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक ध्रुव बहादुर प्रधान सहित अन्य नेताओं ने किया।

प्रदर्शनकारियों के निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश करने की घोषणा करने के बाद, काठमांडू के नया बनेश्वर, बिजुलीबाजार, मैतीघर, भद्रकाली और बालुवाटार क्षेत्रों में दंगा नियंत्रण पुलिस के हजारों कर्मियों को तैनात किया गया था।

सरकार ने काठमांडू में कई स्थानों को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया है, जिनमें नया बनेश्वर स्थित संसद भवन के आसपास का क्षेत्र भी शामिल है।

आरपीपी के कम से कम सात नेताओं और कार्यकर्ताओं को, जिनमें पार्टी अध्यक्ष लिंगदेन, उपाध्यक्ष बुद्धिमन तमांग और प्रवक्ता ज्ञानेन्द्र शाही शामिल थे, उस समय गिरफ्तार कर लिया गया जब वे प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे।

पुलिस अधीक्षक एपिल बोहरा ने कहा, ‘‘पर्चे बांटने और नारे लगाने की कोशिश करने के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया।’’ तीनों नेताओं को काठमांडू पुलिस रेंज, भद्रकाली में हिरासत में लिया गया।

रैली के दौरान जब आरपीपी के प्रदर्शनकारियों ने प्रतिबंधित क्षेत्र का उल्लंघन करने का प्रयास किया तो पुलिस ने लाउडस्पीकर के जरिये उन्हें चेतावनी दी। हालांकि, रविवार का विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा। नेताओं की गिरफ्तारी के बाद, प्रदर्शनकारी प्रतिबंधित क्षेत्र से हट गए।

प्रतिनिधि सभा में पांचवीं सबसे बड़ी पार्टी आरपीपी ने अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त होने के बाद शाम को अपनी कार्यकारी समिति की आपातकालीन बैठक बुलाई। इसने अपने नेताओं की तत्काल रिहाई की मांग की।

पार्टी ने कहा कि वह राजशाही को बहाल करने और नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के उद्देश्य से विरोध प्रदर्शन जारी रखेगी।

आरपीपी की केंद्रीय कार्यकारी समिति ने बृहस्पतिवार को प्रतिबंधित क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया, जिसमें 28 मार्च के प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग की गई।

नेपाल के राजनीतिक दलों ने संसद की एक घोषणा के जरिये 2008 में 240 साल पुरानी राजशाही को समाप्त कर दिया और तत्कालीन हिंदू राज्य को एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य में तब्दील कर दिया।

राजशाही बहाल करने की मांग को लेकर काठमांडू और देश के कुछ अन्य हिस्सों में आरपीपी सहित राजशाही समर्थकों द्वारा कई विरोध प्रदर्शन किए गए हैं।

रविवार सुबह काठमांडू के नया बनेश्वर क्षेत्र में देशभर से आए हजारों स्कूली शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में सुधार और वेतन-भत्तों में वृद्धि की मांग की।

भाषा सुभाष रंजन

रंजन

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)