नये प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने के समक्ष श्रीलंका को संकट से बाहर निकालने की चुनौती

नये प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने के समक्ष श्रीलंका को संकट से बाहर निकालने की चुनौती

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  • Publish Date - July 22, 2022 / 05:47 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:34 PM IST

कोलंबो, 22 जुलाई (भाषा) एक कट्टर वामपंथी नेता दिनेश गुणवर्धने ऐसे समय में श्रीलंका के प्रधानमंत्री बने हैं, जब देश गंभीर आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है।

गुणवर्धने के परिवार का भारत से भी संबंध है। उनके बड़े भाई इंडिका का जन्म 1943 में बम्बई (अब मुंबई) में उस समय हुआ था, जब उनके माता-पिता भारत में छिपे हुए थे क्योंकि उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया था। इंडिका 1994 से 2001 तक कैबिनेट मंत्री रहे थे। इंडिका का 2015 में निधन हो गया था।

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने वरिष्ठ नेता दिनेश गुणवर्धने को शुक्रवार को श्रीलंका का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने के एक दिन बाद शुक्रवार को अपने कार्यकाल के पहले दिन यह पहली नियुक्ति की।

गुणवर्धने (73) को अप्रैल में, पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान गृह मंत्री बनाया गया था। वह विदेश मंत्री और शिक्षा मंत्री के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के एक सहपाठी गुणवर्धने ने पूर्व में विभिन्न कैबिनेट पदों पर कार्य किया है।

वर्ष 1949 में जन्मे गुणवर्धने महाजन एकसाथ पेरामुना (एमईपी) के नेता हैं, जो सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) का एक घटक दल है।

गुणवर्धने श्रीलंका के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं और राजपक्षे परिवार के करीबी सहयोगी रहे हैं, जिन्होंने लगभग दो दशकों तक देश पर शासन किया।

उनके पिता 1948 में देश की आजादी से पहले ब्रिटिश काल में वामपंथी समाजवादी आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा थे। एमईपी 1956 में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा बना था।

उच्च शिक्षा पूरी कर 1979 में नीदरलैंड से लौटने के बाद दिनेश गुणवर्धने ने अपने पिता फिलिप गुणवर्धने की जगह पार्टी का नेतृत्व किया।

गुणवर्धने ने 1983 में कोलंबो के उपनगर महारागामा से जीत हासिल कर संसद में प्रवेश किया और 1994 तक एक प्रमुख विपक्षी नेता की भूमिका निभाई। वर्ष 2000 में गुणवर्धने पहली बार मंत्रिमंडल का हिस्सा बने। 2015 तक मंत्रिमंडल में वह वरिष्ठ पदों पर बने रहे।

विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली नई सरकार के सामने देश को गंभीर आर्थिक संकट से बाहर निकालने और राजनीतिक स्थिरता कायम करने की चुनौती है।

श्रीलंका में अप्रैल के मध्य से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी आर्थिक संकट को लेकर अपने नेताओं के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश