नीरव मोदी के कारावास से ब्रिटेन में बैंक ऑफ इंडिया के मुकदमे में जटिलताएं पैदा हो रहीं

नीरव मोदी के कारावास से ब्रिटेन में बैंक ऑफ इंडिया के मुकदमे में जटिलताएं पैदा हो रहीं

नीरव मोदी के कारावास से ब्रिटेन में बैंक ऑफ इंडिया के मुकदमे में जटिलताएं पैदा हो रहीं
Modified Date: December 5, 2025 / 10:08 pm IST
Published Date: December 5, 2025 10:08 pm IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, पांच दिसंबर (भाषा) लंदन उच्च न्यायालय को शुक्रवार को सूचित किया गया कि धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों में भारत में वांछित भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी को अन्य कैदियों के साथ जेल की एक छोटी कोठरी में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। साथ ही उसके पास अपने अधिकतर कानूनी कागजात तक पहुंच नहीं है।

नीरव मोदी (54) अनुमानित दो अरब अमेरिकी डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ऋण घोटाले के मामले में आरोपी है और उसे अक्टूबर में दक्षिण लंदन के एचएमपी थेम्साइड से एचएमपी पेंटनविले स्थानांतरित कर दिया गया था, ताकि एक असंबंधित ऋण मामले में अदालत में पेशी हो सके।

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बैंक ऑफ इंडिया के 80 लाख अमेरिकी डॉलर के बकाया ऋण के लिए पूर्व-सुनवाई समीक्षा के दौरान न्यायाधीश साइमन टिंकलर को सूचित किया गया कि अभियुक्त ने जनवरी 2026 में निर्धारित मुकदमे को स्थगित करने का अनुरोध किया है ताकि उसे अपना बचाव और गवाह बयान तैयार करने के लिए अधिक समय मिल सके।

न्यायमूर्ति टिंकलर ने कहा, ‘‘मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि नीरव मोदी को अपने पिछले हस्तलिखित नोट्स प्राप्त करने में मदद मिलेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हम उस बिंदु के बहुत करीब हैं जहां मोदी के पास दस्तावेज़ों की अनुपस्थिति का मतलब होगा कि वह मुकदमे की तैयारी करने की स्थिति में नहीं हैं जिससे वह अपना पक्ष निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत कर सकें। यह विशेष रूप से गवाही दस्तावेजो के संबंध में है, जिसमें उनकी टिप्पणियां भी शामिल हैं, जिन्हें संकलित करने में, उनके अपने साक्ष्य के आधार पर, लगभग छह या आठ हफ़्ते लगे।’’

नीरव मोदी के जेलों के बीच स्थानांतरण को, जो कि अपेक्षाकृत कम जोखिम वाले दोषियों के लिए श्रेणी बी की पुरुष जेलें हैं, ऑनलाइन सुनवाई के दौरान ‘‘लॉजिस्टिक सुविधा’’ के रूप में वर्णित किया गया।

न्यायमूर्ति टिंकलर अपने फैसले में स्थगन आवेदन को 19 दिसंबर को होने वाली अगली समीक्षा सुनवाई तक प्रभावी रूप से स्थगित कर दिया। उन्होंने एचएमपी थेम्साइड को यह सुनिश्चित करने का अदालती आदेश भी जारी किया कि पूर्व कारागार की कोठरी में मौजूद सभी दस्तावेज मोदी की नई कोठरी में स्थानांतरित कर दी जाए।

अक्टूबर में मामले की पिछली के दौरान मोदी व्यक्तिगत रूप से सुनवाई में पेश हुआ था। हालांकि उसके विपरीत बैरिस्टर जेम्स किनमैन ने उनकी ओर से दलील दी कि यदि जनवरी 2026 से मुकदमे में देरी नहीं की गई तो उनके मुवक्किल को ‘काफी नुकसान’ होगा।

किनमैन ने कहा, ‘‘यह मुकदमा अब निष्पक्ष नहीं रहेगा, क्योंकि मोदी को एक छोटे से कमरे में, साझा डेस्क पर, तथा बिना किसी आईटी सुविधा के, अत्यंत कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।’’

बैंक ऑफ इंडिया के बैरिस्टर टॉम बेस्ली ने स्थगन का विरोध करते हुए मोदी द्वारा विलंब करने की कई रणनीतियों और भारत में उनके लंबित प्रत्यर्पण की ओर इशारा किया।

बेस्ली ने कहा, ‘‘भारत में हिरासत में लिए जाने से पहले अब उनके पास मुकदमा आगे बढ़ाने का अवसर है।’’

मोदी मार्च 2019 में प्रत्यर्पण से संबंधित गिरफ्तारी के बाद से लंदन में सलाखों के पीछे हैं और उसने कई बार जमानत के प्रयास किए हैं। हालांकि उसकी सभी कोशिश इस आधार पर खारिज कर दी गई कि उसके देश छोड़कर भागने का खतरा है।

भाषा धीरज रंजन

रंजन


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