अफ्रीकी देशों को प्रतिनिधित्व ना मिलना सुरक्षा परिषद की सामूहिक प्रामाणिकता पर धब्बा: जयशंकर

अफ्रीकी देशों को प्रतिनिधित्व ना मिलना सुरक्षा परिषद की सामूहिक प्रामाणिकता पर धब्बा: जयशंकर

अफ्रीकी देशों को प्रतिनिधित्व ना मिलना सुरक्षा परिषद की सामूहिक प्रामाणिकता पर धब्बा: जयशंकर
Modified Date: November 29, 2022 / 07:48 pm IST
Published Date: October 28, 2021 8:27 pm IST

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 28 अक्टूबर (भाषा) भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता में अफ्रीकी देशों का प्रतिनिधित्व से लगातार इनकार करना परिषद की सामूहिक प्रामाणिकता पर ‘धब्बा’ है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘संयुक्त राष्ट्र और उप-क्षेत्रीय संगठनों (अफ्रीका संघ) के बीच सहयोग’ विषय पर सुरक्षा परिषद की खुली चर्चा को वीडियो लिंक के माध्यम से संबोधित कर रहे थे।

 ⁠

उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफ्रीकी आवाज और सोच पर ध्यान देने की जरूरत है। अफ्रीका को अफ्रीकियों से बेहतर कोई नहीं जान सकता। हमने इतिहास में देखा है कि अफ्रीका को शामिल किये बिना अफ्रीकी समस्याओं का बाहरी समाधान पेश करने से अफ्रीकी जनता के हित नहीं सधे हैं। इस संकीर्ण सोच को बदलने की जरूरत है।’’

जयशंकर ने कहा कि सुरक्षा परिषद में ही बदलाव शुरू होना चाहिए।

उन्होंने अफ्रीकी देशों के आतंकवाद निरोधक अभियानों में समर्थन की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि अफ्रीका में आतंकवाद फैलना बहुत चिंता की बात है जैसा कि साहेल, सोमालिया और मध्य तथा पूर्वी अफ्रीका की चुनौतियों से जाहिर है।

जयशंकर ने कहा कि सोमालिया में अफ्रीकी संघ के मिशन (एमीसोम), जी-5 साहेल संयुक्त बल और बहुराष्ट्रीय संयुक्त कार्य बल (एमएनजेटीएफ) की पहलों को सुरक्षा परिषद तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से और अधिक समर्थन की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि अफ्रीका के आतंकवाद निरोधक अभियानों को सहयोग देने के संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के आह्वान का भारत समर्थन करता है। जयशंकर ने कहा कि भारत अपने खुद के अनुभव से मानता है कि अफ्रीका में संघर्षों की मूल वजह उसके औपनिवेशिक इतिहास में है।

भाषा वैभव माधव

माधव


लेखक के बारे में