पाकिस्तान की अदालत ने नौ मई के मामलों में इमरान खान की जमानत याचिका खारिज की

पाकिस्तान की अदालत ने नौ मई के मामलों में इमरान खान की जमानत याचिका खारिज की

पाकिस्तान की अदालत ने नौ मई के मामलों में इमरान खान की जमानत याचिका खारिज की
Modified Date: June 24, 2025 / 09:20 pm IST
Published Date: June 24, 2025 9:20 pm IST

(एम. जुल्करनैन)

लाहौर, 24 जून (भाषा) पाकिस्तान की एक अदालत ने मंगलवार को नौ मई के दंगों से संबंधित आठ आतंकवाद मामलों में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद जमानत का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान पर नौ मई, 2023 की हिंसा के संबंध में लाहौर में कई मामले दर्ज हैं, जिसमें अपने समर्थकों को सरकारी और सैन्य भवनों पर हमला करने के लिए उकसाने का आरोप भी शामिल हैं। यह हिंसा इस्लामाबाद उच्च न्यायालय परिसर से अर्धसैनिक रेंजर्स द्वारा इमरान की गिरफ्तारी के बाद भड़की थी।

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अदालत के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) ने जिन्ना हाउस/लाहौर कोर कमांडर हाउस पर हमले और आगजनी की घटनाओं सहित नौ मई, 2023 के मामलों से संबंधित आठ मामलों के संबंध में इमरान खान द्वारा दायर सभी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है।’’

न्यायमूर्ति शहबाज रिजवी की अध्यक्षता वाली एलएचसी की दो-सदस्यीय पीठ ने आठ मामलों में खान द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर फैसला सुनाया।

पीठ ने सोमवार को सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इन आठ मामलों में जिन्ना हाउस हमला, अस्करी टॉवर हमला, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीटीआई-एन) कार्यालय में आगजनी, शादमान पुलिस थाने को आग लगाना, जिन्ना हाउस के पास पुलिस वाहनों को जलाना और शेरपाओ पुलि पर आगजनी शामिल है।

लाहौर की आतंकवाद-निरोधी अदालत ने पहले इन मामलों में खान की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने एलएचसी में इस फैसले को चुनौती दी थी।

खान के एक वकील ने कहा कि वह लाहौर उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। खान कई मामलों में लगभग दो साल से जेल में हैं।

इसके अलावा, उनकी पार्टी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि खान को एकांत कारावास में रखा गया है और उनके सेल की बिजली काट दी गई है।

पीटीआई के वरिष्ठ नेता जुल्फी बुखारी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘इमरान खान को अलग-थलग रखा गया है, उन्हें वे बुनियादी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं जिनके वे कानूनी तौर पर हकदार हैं।’’

भाषा संतोष सुरेश

सुरेश


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