ग्रीनरी को बढ़ावा देने बसों की छत पर उगाए जा रहे पौधे, एसी और ईधन की भी बचत

ग्रीनरी को बढ़ावा देने बसों की छत पर उगाए जा रहे पौधे, एसी और ईधन की भी बचत

ग्रीनरी को बढ़ावा देने बसों की छत पर उगाए जा रहे पौधे, एसी और ईधन की भी बचत
Modified Date: November 29, 2022 / 08:38 pm IST
Published Date: July 4, 2019 7:12 am IST

सिंगापुर। बसों की छतों पर पौधे उगाकर ग्रीनरी को बढ़ावा देने का ​काम किया जा रहा है। यह अनोखा काम शुरू हुआ है ​सिंगापुर में। जी हां यहां एशिया की पहली ग्रीन रूफटॉप बस सर्विस शुरू हुई है। और इस प्रोजेक्ट का नाम है गार्डन ऑन द मूव।

पर्यावरण के प्रति जागरुकता ने कई नए आयडियाज़ विकसित किए हैं। पेड़-पौधे अब जमीन पर ही नही उगाए जाते। घरों की छतों पर फसलों की खेती हो रही है। मेट्रो सिटी में पिलर पर पौधे लगाए जा रहे हैं। हवा को साफ करने और बढ़ते तापमान को कम करने के लिए ग्रीनरी बढ़ाने के ऐसे कई उपाय किए जा हैं।

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इसके साथ ही अब ग्रीन रूफटॉप बसों को शुरू करना निश्चित ही अनोखा है। इसके पीछे हवा को साफ करना और बसों के भीतर के तापमान को कम करने का मकसद है। सिंगापुर में बसों की छतों पर 1.8 की लंबाई और 1.5 मीटर की चौड़ाई वाले दो ग्रीन पैनल लगाए गए हैं। इन पैनल में मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

आमतौर पर मिट्टी का इस्तेमाल करने पर पैनल का वजन बढ़कर 250 से 300 किलो हो जाता। वजन कम रखने के लिए मिट्टी की जगह पर कार्बन फाइबर का इस्तेमाल किया गया है। इनका वजन 30-40 किलो के पास होता है। कार्बन फाइबर में पानी सोखने वाले रेशों की लेयर होती है। इसमें ज्यादा पानी देने की जरूरत भी नहीं पड़ती और घास जैसे छोटे पौधे बड़े आराम से उगते हैं।

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इस तरह की बसों में एसी की जरूरत नहीं होगी। ग्रीनरी की वजह से बस के अंदर का तापमान ऐसे ही कम रहेगा। ज्यादा गर्मी के दिनों में ग्रीन रूफटॉप बसों में भीतर का तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तक कम हो सकता है। तापमान को मापने के लिए बसों के भीतर और बाहर सेंसर लगाए गए हैं। इसकी वजह से बसों को चलाने मे तेल, सीएनजी या बैटरी की खपत भी कम होगी।

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इसके मेंटनेंस में भी ज्यादा दिक्कत नहीं है। साल में दो या तीन बार इसके मेंटनेंस की जरूरत पड़ेगी। वहीं एक ग्रीन रूफ की कीमत करीब 10 हजार रुपए है। सिंगापुर में फिलहाल इसे ट्रायल के तौर पर तीन महीने तक चलाया जाएगा। फिर बाकी बसों में भी इसी तरह के प्रयोग किए जाएंगे। बसों की छत पर लगाए गए पौधों की खासियत ये है कि ये तेज हवा और धूप बर्दाश्त कर सकते हैं।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com