कोलंबो, 26 सितंबर (भाषा) श्रीलंकाई सरकार ने सोमवार को कोलंबो के कुछ अहम क्षेत्रों को कड़ी सुरक्षा वाले क्षेत्र (एचएसजेड) के रूप में घोषित करने के अपने फैसले का बचाव किया। अघिकार समूहों की ओर से भारी आलोचना के बीच सरकार ने कहा कि यह कदम उठाने का मकसद स्थायित्व को सुनिश्चित करना है, ना कि अभियक्ति की स्वतंत्रता में कटौती करना है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने शुक्रवार को संसद, उच्चतम न्यायालय परिसर और राष्ट्रपति सचिवालय समेत कुछ अन्य स्थलों को कड़ी सुरक्षा वाले क्षेत्र के रूप में घोषित करते हुए इन क्षेत्रों के आसपास किसी भी तरह के विरोध-प्रदर्शन पर पाबंदी लगा दी थी।
रक्षा मंत्रालय के सचिव कमल गुणरत्ने ने कहा, ‘‘एचएसजेड कोई नयी बात नहीं है। हमने देखा कि किस तरह राष्ट्रपति सचिवालय को हाल ही में लोगों के समूहों द्वारा घेर लिया गया था। उन्होंने अधिकारियों को काम करने से रोक दिया था। यदि अहम निर्णय लिये जाने के मुख्य स्थलों को बाधित कर दिया जाता है, तो हमें इसे रोकने के लिए निर्णय लेना होगा।’’
श्रीलंका में शुक्रवार को जारी असाधारण अधिसूचना में राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से कहा गया कि संसद, उच्चतम न्यायालय, कोलंबो स्थित उच्च न्यायालय संकुल, मजिस्ट्रेट अदालत संकुल, अटॉर्नी जनरल का विभाग, राष्ट्रपति सचिवालय भवन, नौसेना मुख्यालय, पुलिस मुख्यालय के आसपास के इलाके को एचएसजेड घोषित किया गया है।
इसमें कहा गया कि रक्षा मंत्रालय, श्रीलंकाई सेना का मुख्यालय, वायुसेना का मुख्यालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, टेंपल ट्री स्थित प्रधानमंत्री आवास, रक्षा मंत्रालय के सचिव और तीनों सेनाओं के कमांडर के आधिकारिक आवास को भी एचएसजेड घोषित किया गया है।
गुणरत्ने ने इस बात से इनकार किया कि सरकार की मंशा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा को आदेश के जरिये बाधित करने की है।
एक अन्य वरिष्ठ अधिकार ने कहा कि कोई भी व्यक्ति विरोध प्रदर्शन या रैली आयोजित कर सकेगा, लेकिन पुलिस से इसकी पहले से अनुमति लेनी होगी।
एचएसजेड के ऐलान के बाद शनिवार को ‘सोशलिस्ट यूथ मूवमेंट’ की ओर से सड़क पर आयोजित विरोध-प्रदर्शन को पुलिस ने तितर-बितर कर दिया।
भाषा संतोष दिलीप
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