श्रीलंका की ओर से यूएनएचआरसी में मतदान का आह्वान करना प्रतिकूल परिणाम देने वाला: मंत्री

श्रीलंका की ओर से यूएनएचआरसी में मतदान का आह्वान करना प्रतिकूल परिणाम देने वाला: मंत्री

श्रीलंका की ओर से यूएनएचआरसी में मतदान का आह्वान करना प्रतिकूल परिणाम देने वाला: मंत्री
Modified Date: October 9, 2025 / 07:36 pm IST
Published Date: October 9, 2025 7:36 pm IST

कोलंबो, नौ अक्टूबर (भाषा) श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिथा हेराथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि द्वीप राष्ट्र में सुलह, जवाबदेही और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए इस सप्ताह अपनाये गये प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में मतदान कराना प्रतिकूल नतीजे देने वाला होता।

सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) द्वारा बिना वोटिंग के पारित किए गए प्रस्ताव में श्रीलंका से जुड़ी मानवाधिकार निगरानी की समय-सीमा दो साल के लिए बढ़ा दी गई। यह जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) को दी गई है। श्रीलंका ने इस प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया है।

हेराथ को मित्र देशों से मतदान के लिए आग्रह न करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

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उन्होंने संसद में कहा कि मतदान की मांग करने संबंधी टकरावपूर्ण रवैया श्रीलंका सरकार के उस आंतरिक मुद्दे को सुलझाने के प्रयास में बाधा उत्पन्न करेगा, जिसका पूर्ववर्ती सरकारों की गड़बड़ियों के कारण अंतरराष्ट्रीयकरण हो गया है।

हेराथ ने कहा कि 2009 से, पिछली सरकारों ने समर्थन जुटाने के लिए यूएनएचआरसी के सदस्य देशों में अधिकारियों को भेजने में बड़ी संख्या में सरकारी संसाधनों को लगाया, जबकि उन्हें पता था कि श्रीलंका को पिछले प्रत्येक प्रस्ताव पर केवल हार का ही सामना करना पड़ेगा।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने मंत्रियों और अधिकारियों के लिए लाखों डॉलर का सार्वजनिक धन खर्च किया, ताकि वे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य देशों में जाकर उनका समर्थन जुटा सकें।’’

उन्होंने कहा कि 47 सदस्य देशों में से श्रीलंका को मिलने वाला समर्थन 2012 में घटकर 15, 2013 में 13, 2014 में 12 तथा 2021 में 11 रह गया।

इस सप्ताह पारित प्रस्ताव में संविधान के 13वें संशोधन को प्रभावी बनाने, आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पीटीए) और ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम को निरस्त करने तथा अन्य मुद्दों के लिए लंबे समय से रुके प्रांतीय परिषद चुनाव कराने का आह्वान किया गया।

भाषा देवेंद्र सुरेश

सुरेश


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