संरचनात्मक नस्लवाद: यह क्या है और कैसे काम करता है | Structural racism: What it is and how it works

संरचनात्मक नस्लवाद: यह क्या है और कैसे काम करता है

संरचनात्मक नस्लवाद: यह क्या है और कैसे काम करता है

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:57 PM IST, Published Date : July 1, 2021/7:31 am IST

विनी लैंडर, लीड्स बेकेट विश्वविद्यालय

लीड्स (ब्रिटेन), एक जुलाई (द कन्वरसेशन) ब्रिटेन में नस्लीय और जातीय असमानताओं से संबद्ध आयोग की रिपोर्ट के प्रकाशित होते ही इसके समर्थकों और विरोधियों ने मीडिया में तूफान मचा दिया। महीनों बाद, रिपोर्ट में उल्लिखित इस बात को लेकर कि ब्रिटेन में नस्लवाद नहीं है, कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि रिपोर्ट के कुछ मूल शब्दों का अर्थ आखिर क्या है।

ब्रिटेन में नस्लवाद की जड़ें हैं या नहीं, इस पर रिपोर्ट में ‘‘संरचनात्मक नस्लवाद’’ और ‘‘संस्थागत नस्लवाद’’ जैसे कुछ शब्दों का उल्लेख किया गया है।

लेकिन आयोग के सुझाव के पीछे की सच्चाई का आकलन करते हुए कि नस्लवाद के ये रूप नस्लीय असमानता के कारक नहीं हैं, पहले इन शब्दों को समझ लेने की आवश्यकता है।

संरचनात्मक और संस्थागत नस्लवाद

1967 में राजनीतिक कार्यकर्ताओं स्टोकली कारमाइकल और चार्ल्स वर्नोन हैमिल्टन द्वारा सबसे पहले परिभाषित, संस्थागत नस्लवाद की अवधारणा 1999 में अश्वेत किशोरी स्टीफन लॉरेंस की नस्लवादी हत्या में मैकफेरसन जांच के जरिए सामने आई।

संस्थागत नस्लवाद को इस प्रकार परिभाषित किया गया है: ‘‘अनजाने पूर्वाग्रह, अज्ञानता, विचारहीनता और जातिवादी रूढ़िवादिता के वशीभूत प्रक्रियाएं, दृष्टिकोण और व्यवहारगत भेदभाव, जो अल्पसंख्यक जातीय लोगों को नुकसान पहुंचाता है।’’

जैसा कि स्टीफन लॉरेंस जांच के प्रमुख सर विलियम मैकफर्सन ने उस समय लिखा था, यह इसलिए बना रहता है क्योंकि नीति, उदाहरण और नेतृत्व इसके अस्तित्व और कारणों को पहचानने में विफल है।

संस्थागत और संरचनात्मक नस्लवाद एक साथ काम करते हैं। संस्थागत नस्लवाद, उदाहरण के लिए, शिक्षा संस्थानों, आपराधिक न्याय और स्वास्थ्य से संबंधित है जहां कुछ समूहों के खिलाफ भेदभाव किया जाता है।

संरचनात्मक नस्लवाद समाज के भीतर व्यापक राजनीतिक और सामाजिक नुकसान को संदर्भित करता है, जैसे कि अश्वेत और पाकिस्तानी समूहों में गरीबी की उच्च दर या अश्वेत लोगों में कोविड-19 से मृत्यु की उच्च दर।

सीधे शब्दों में कहें तो, संरचनात्मक नस्लवाद अश्वेत लोगों के जीवन, कल्याण और जीने की संभावनाओं से जुड़ा है।

यह ऐसी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और संस्थागत प्रथाओं को सामान्य बनाता है जो गोरे लोगों को लाभान्वित करते हैं और अश्वेत लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह 400 साल पहले गुलामी और उपनिवेशवाद के माध्यम से स्थापित नस्लीय पदानुक्रम को चुपके से दोहराता है, जिसमें गोरे लोगों को सबसे ऊपर और काले लोगों को सबसे नीचे रखा जाता है।

संरचनात्मक नस्लवाद को संस्थागत प्रणालियों के माध्यम से लागू किया जाता है जैसे कहने को तटस्थ भर्ती नीतियां, जो संगठनों, सत्ता के पदों और सामाजिक प्रमुखता से अश्वेत लोगों के बहिष्कार की ओर ले जाती हैं। यह श्वेत वर्चस्व के कारण मौजूद विश्वासों, मान्यताओं और व्यवहारों की एक प्रणाली है, जो गोरे लोगों के हितों को आगे बढ़ाती है और उनके प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए निर्णय लेने को प्रभावित करती है।

श्वेत वर्चस्व इस बात के केंद्र में है कि समाज में व्यवस्था कैसे काम करती है। यह असमानताओं के पीछे मुख्य कारण है जैसे कि कई संस्थानों में जातीय वेतन अंतर, साथ ही न्यायाधीश और विश्वविद्यालय के कुलपति जैसे पदों पर कम अश्वेतों का होना

संरचनात्मक नस्लवाद कैसे काम करता है?

समाज में सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक प्रणालियों में संरचनात्मक नस्लवाद मौजूद है। इसके साथ आने वाले कई मुद्दों को महामारी ने बढ़ा दिया है, जिसमें कोविड-19 से अश्वेत लोगों की अनुपातहीन मौतें भी शामिल हैं।

मौजूदा संरचनात्मक नस्लीय असमानताओं के कारण ये चुनौतियां और खराब हो गई हैं, जिसका अर्थ है कि अश्वेत और पाकिस्तानी समुदायों के अकुशल नौकरियों में काम करने की संभावना अधिक है। नतीजतन, कई लोगों को महामारी के दौरान प्रमुख कार्यकर्ताओं के रूप में काम करना पड़ा है, जिससे उनके वायरस से संक्रमित होने या मरने का जोखिम बढ़ गया।

दरसअल, बड़ी संख्या में अश्वेत स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने बहुत डरते हुए इन मुद्दों की शिकायत की कि उन्हें पीपीई न होने के बावजूद मरीजों को देखने के लिए ‘‘धमकाया और शर्मिंदा’’ किया गया। उनके प्रति इन असमानताओं के लिए निराशावाद या वर्ग या संस्कृति को दोष नहीं दिया जा सकता है, बल्कि यह उन संरचनाओं का दोष है, जिनके भीतर उन्होंने काम किया है।

संरचनात्मक और संस्थागत नस्लवाद कई क्षेत्रों में कम प्रतिनिधित्व के लिए जिम्मेदार है। ये बाधाएं श्वेत चिकित्सा सलाहकारों और अश्वेत चिकित्सा सलाहकारों के बीच 4.9 प्रतिशत जातीय वेतन अंतर, स्कूलों में अश्वेत शिक्षकों की कमी, विश्वविद्यालयों में एक प्रतिशत अश्वेत प्रोफेसरों और त्वचा के बारे में चिकित्सा प्रशिक्षण की अनुपस्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसी स्थितियों के उदाहरण अंतहीन हैं, जो अश्वेत और भूरी त्वचा के कारण सामने आती हैं।

प्रभावित लोगों को दोष देना आसान होगा, लेकिन यह इस बात की अनदेखी करेगा कि संरचनात्मक नस्लवाद कैसे काम करता है। उदाहरण के लिए, अश्वेत लोग असाधारण रूप से कड़ी मेहनत कर सकते हैं लेकिन फिर भी महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना करते हैं जिन्हें सीधे संरचनात्मक नस्लवाद के मुद्दों में खोजा जा सकता है।

द कन्वरसेशन एकता

एकता

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)