भाषा के उच्चारण को लेकर भी हो सकता है भेदभाव, नए अध्ययन ने कराया सच्चाई से रूबरू

भाषा के उच्चारण को लेकर भी हो सकता है भेदभाव, नए अध्ययन ने कराया सच्चाई से रूबरू

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  • Publish Date - December 5, 2021 / 05:11 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:56 PM IST

(शिरी लेव-एरी, रॉयल हॉलॉवे यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन)

लंदन, पांच दिसंबर (द कन्वरसेशन) दुनियाभर में अलग-अलग भाषाओं को अलग-अलग उच्चारण के साथ बोला जाता है। अमेरिका में यदि अंग्रेजी बोलने का लोगों का अंदाज अलग है तो ब्रिटेन में अलग। ऐसा ही फ्रांसीसी, इतालवी तथा अन्य भाषाओं के साथ भी होता है। लेकिन इन सबके बीच उच्चारण के आधार पर भेदभाव भी एक कड़वी सच्चाई है, जो समय-समय पर किये गए शोध में सामने आती रही है।

ऊपर से देखा जाए तो अक्सर हमें अलग-अलग उच्चारण सुनने में आनंद आता है। हम जिस तरह से बात करते हैं वह उस वातावरण में भाषा की ध्वनि को दर्शाता है जिसके बीच हम बड़े हुए हैं। इसका कोई सामाजिक महत्व नहीं होना चाहिए। लेकिन वास्तव में, लोग उच्चारण को महत्व देते हैं और कई बार इस मामले में वक्ताओं के साथ भेदभाव भी देखने को मिलता है।

अमेरिका और ब्रिटेन में अंग्रेजी बोलने वालों पर किये गए शोध से पता चलता है कि किसी विदेशी व्यक्ति के उच्चारण को अक्सर नकारात्मक माना जाता है। हालांकि फ्रांसीसी सहित कुछ भाषाओं में इस तरह के अनुभव कम देखने को मिले हैं।

उदाहरण के लिए जिन लोगों की उच्चारण पर पकड़ होती है, वे ऐसे लोगों को कम ज्ञानी और आत्मविश्वासी मानते हैं और कुछ शोध से संकेत मिलता है कि विदेशी उच्चारण वाले लोगों को नौकरी पर रखे जाने या पदोन्नति दिये जाने की संभावना भी कम होती है।

हमारे हाल के अध्ययन में हमने बताया है कि लोग विदेशी वक्ताओं के साथ भेदभाव कर सकते हैं, भले ही वे पूर्वाग्रही न हों। ऐसा इसलिए है क्योंकि विदेशी उच्चारण वाले भाषण को पेश करना कठिन हो सकता है। विदेशी लोग इसे मूल मानदंडों के बजाय अलग तरह से उच्चारित करते हैं, जिससे उच्चारण में पारंगत लोगों को तालमेल बिठाना मुश्किल हो जाता है।

हमारे अध्ययन से पता चलता है कि अधिक विविध वातावरण बनाकर हम संभावित रूप से उच्चारण के आधार पर किसी भी अचेतन भेदभाव का मुकाबला करने में मदद कर सकते हैं। एक ऐसा वातावरण बनाया जाना चाहिये जहां देशी और विदेशी वक्ता नियमित रूप से बातचीत कर सकें। देशी और गैर देशी वक्ताओं के बीच संपर्क पूर्वाग्रह को कम करने में भी मदद कर सकता है। साथ ही सांस्कृतिक बदलाव की जरूरत है। विविधता को बढ़ावा देने के अलावा, हम सभी को पहले कदम के रूप में इस तथ्य से अवगत होना चाहिए कि हम में से प्रत्येक का अपना अलग उच्चारण है।

हमे इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि उच्चारण किसी व्यक्ति के ज्ञान को ही दर्शाते हैं, और इसका किसी भाषा में हमारी दक्षता से कोई संबंध नहीं है। वास्तव में, गैर-देशी वक्ता अपने मूल उच्चारण को बनाए रखते हुए भी किसी भाषा में अत्यधिक महारत हासिल कर सकते हैं।

( द कन्वरसेशन) जोहेब नरेश

नरेश