नईदिल्ली। एक युवक के बचपन में करंट लगने से रजत के दोनों हाथ झुलस गए जिसके बाद उसके दोनों हाथ काटने पड़े। फिर भी रजत ने हौंसला नहीं छोड़ा, सभी मुसीबतों को पीछे छोड़ते हुए पढ़ाई की और डॉक्टर बनने के लिए नीट की परीक्षा पास की। रजत को मेडिकल क़ॉलेज में सीट भी मिल गई थी, लेकिन मेडिकल बोर्ड ने उसे अनफिट करार दे दिया। जिसके बाद दिव्यांग युवक के सपने चकनाचूर हो गए।
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जानकारी के अनुसार, हिमाचल प्रदेश मंडी जिला के उपमंडल सुंदरनगर में डूगराई पंचायत के रड़ू गांव के जयराम के पुत्र रजत के साथ बचपन में एक हादसा हुआ। करंट लगने से दोनों हॉथ काट दिए गए। बचपन से पढ़ाई का शौक रखने वाले रजत ने हादसे के बाद मुंह से लिखना शुरू कर दिया। युवक ने पहले मैट्रिक और फिर मेडिकल में जमा दो की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की। ये सब परीक्षाएं अपने मुंह में पैन पकड़कर पास की।
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इसके बाद उसने ऑल इंडिया स्तर का नीट की परीक्षा पास की। इसे पास करने के बाद उसे मंडी के नेरचौक मेडिकल कालेज में सीट मिली। परिवार इस बात को लेकर खुश था कि उनका दिव्यांग बेटा डॉक्टर बनेगा, मगर उनके सपने तब टूट गए जब नेरचौक मेडिकल कालेज ने दिव्यांग रजत को इंटरव्यू के बाद मेडिकल में फिजिकल अनफिट का हवाला देकर रिजेक्ट कर दिया।
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मेडिकल बोर्ड के अनुसार, यह डॉक्टरी प्रक्रिया के दौरान न कोई दवाई लिख सकता है, ना ही चिकित्सा के औजार चला सकता है। ऐसे में वह मानदंड़ों के अनुसार, शारीरिक तौर पर अनफिट है और डॉक्टर की पढ़ाई नहीं कर पाएगा। इसके बाद परिवार सकते में है। रजत अब खुद को व्यवस्था के आगे हारा समझ रहा है। उसने मेडिकल की पढ़ाई छोड़ अब मंडी कालेज में आर्टस की पढ़ाई शुरू कर दी है
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