यहां दिवाली के अगले दिन की जाती है कुत्तों की पूजा, फूल-माला पहनाकर दी जाती है दावत, सालों से चली आ रही है परंपरा

यहां दिवाली के अगले दिन की जाती है कुत्तों की पूजा : Worships Dogs after Diwali in Nepal, Know about Kukur Tihar

यहां दिवाली के अगले दिन की जाती है कुत्तों की पूजा, फूल-माला पहनाकर दी जाती है दावत, सालों से चली आ रही है परंपरा

Worships Dogs after Diwali

Modified Date: November 29, 2022 / 08:11 pm IST
Published Date: October 24, 2022 10:47 am IST

Worships Dogs after Diwali  पूरी दुनिया में जहां भी हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग हैं। वे सभी दीपावली का त्योहार बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं। दीपावली को हिन्दू संस्कृति में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। दीपावली का त्यौहार हमारे देश के आस-पास के हिस्सों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। जहां श्रीलंका में भी दीपक जलाए जाते हैं वहीं पड़ोसी देश नेपाल में भी इस त्यौहार को लोग अलग ही तरीके से मनाते हैं। यहां एक अजीबोगरीब रिवाज़ है। रौशनी के इस त्यौहार पर यहां जानवरों की पूजा होती है। खास तौर पर कुत्तों को खूब इज्ज़त बख्शी जाती है।

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Worships Dogs after Diwali नेपाल में इस त्योहार से जुड़ी परंपरा थोड़ी सी अलग है। नेपाल में इसे तिहार कहा जाता है। यहां के लोग हमारी ही तरह भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। दीपक जलाते हैं, लेकिन दीपावली के अगले दिन नेपाल में कुकुर तिहार मनाया जाता है। इस दिन लोग कुत्तों की पूजा किया करते हैं। कुत्तों को माला पहनाते हैं, उन्हें तिलक लगाते हैं और उनके लिए स्वादिष्ट पकवान भी बनाए जाते हैं। नेपाल में कुकुर का मतलब होता है कुत्ता, और कुत्ते को यम देवता का संदेशवाहक माना गया है। इसलिए लोग इस दिन कुत्तों की पूजा करते हैं। नेपाल के लोगों का मानना है कि मृत्यु के बाद कुत्ता आपकी रक्षा करता है।

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दीपावली का त्योहार धनतेरस से भाई दूज तक मनाया जाता है। इसी प्रकार नेपाल में भी दीपावली के त्योहार को 5 दिन मनाया जाता है, लेकिन इस दौरान नेपाल में इन पांचों दिन अलग-अलग जानवरों की पूजा की जाती है। जिनमें गाय, कुत्ता, कौवा, बैल आदि शामिल होते हैं। पहले दिन कौवे की पूजा की जाती है। जिसे यमराज का दूत माना जाता है। दूसरे दिन कुत्ते की पूजा की जाती है। कुत्ते को नेपाल में भैरव देव के रूप में पूजा जाता है। तीसरे दिन गाय की पूजा होती है जिसे देवी लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। चौथे दिन बैल की पूजा की जाती है जिसे शक्ति के देवता माना जाता है। पांचवें और आखिरी दिन बहने और भाई आपस में एक दूसरे को टीका लगाकर दीपावली के पर्व का समापन करते हैं।


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सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।