सूर्य उपासना का महापर्व छठः व्रतियों ने अस्ताचल सूर्य को पहला अर्घ्य दिया

सूर्य उपासना का महापर्व छठः व्रतियों ने अस्ताचल सूर्य को पहला अर्घ्य दिया

सूर्य उपासना का महापर्व छठः व्रतियों ने अस्ताचल सूर्य को पहला अर्घ्य दिया
Modified Date: November 29, 2022 / 07:53 pm IST
Published Date: October 30, 2022 9:52 pm IST

(फोटो के साथ)

पटना, 30 अक्टूबर (भाषा) बिहार का सबसे लोकप्रिय त्योहार सूर्य की आराधना के चार दिवसीय महापर्व छठ के तीसरे दिन रविवार को व्रतियों ने राज्य की राजधानी पटना में गंगा तट सहित राज्य के अन्य नदियों और तालाबों के किनारे पानी में खड़े होकर अस्ताचल सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया।

नहाय-खाय के साथ शुक्रवार को शुरू हुए छठ के दूसरे दिन खरना के बाद व्रतियों का शुरू हुआ 36 घंटों का निर्जला उपवास रविवार शाम अस्ताचलगामी सूर्य और 31 अक्टूबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण (भोजन कर व्रत खोलने) के साथ पूरा होगा।

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राज्य की राजधानी में सभी सड़कें आज गंगा की ओर जाती दिख रही थीं, जहां मनवांछित इच्छाओं को पूरा करने वाली छठी मैया के प्रति व्यापक भक्तिमय माहौल दिखा तथा सभी वर्ग के लोग सामाजिक भेद-भाव को भूलकर इसके प्रति श्रद्धा रखते दिखे।

एक श्रद्धालु नजमा खातून ने कहा, ‘‘मैं नौ साल से छठ पर्व मना रही हूं। शादी के कई वर्षों के बावजूद कोई संतान नहीं होने पर निराशा थी। मेरे समुदाय के लोगों का सोचना था कि यह (छठ व्रत करना) गुनाह है। लेकिन मेरे पति ने मेरा समर्थन किया। छठी मैया ने मुझे आशीर्वाद दिया। जब तक मैं छठ कर सकती हूं, इसे जारी रखूंगी।’’

पेशे से एक बैंकर तौसीफ हाशमी ने बताया, ‘‘मैं 2014 में छठ के दौरान एक दोस्त के घर पर था। मैंने यूं ही वहां पड़ा एक पत्थर फेंक दिया था। मेरा उद्देश्य किसी को मारना नहीं था, लेकिन वह एक सांप को लग गया और उस सांप ने कुछ दिनों तक मेरा पीछा किया। जब मेरे दोस्त की मां ने छठी मैया से मेरे लिए प्रार्थना की तब वह सांप शांत हो गया। प्रायश्चित के रूप में मैंने तीन साल तक छठ का व्रत किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं जीवनदान के लिए छठी मैया का ऋणी हूं। हालांकि, मैंने अब व्रत रखना बंद कर दिया है फिर भी मैं हर संभव व्रतियों की मदद करता हूं।’’

छठ के दौरान वास्तव में कई लोगों को सक्षम व्यक्तियों की मदद की आवश्यकता होती है, जिसमें घाटों की ओर जाने वाली सड़कों पर बार-बार साष्टांग दंडवत करने वाले श्रद्धालुओं के साथ और पूजा प्रसाद बनाने में तथा उसमें उपयोग की जाने वाली वस्तुओं से भरी टोकरियां, सूप आदि लेकर लंबी दूरी तक चलना पड़ता है।

छठी मैया के प्रति श्रद्धा और निष्ठा की भावना जेल की सलाखों के पीछे कैद महिलाओं और पुरुषों में भी देखने को मिलती है क्योंकि बिहार की विभिन्न जेलों में बड़ी संख्या में कैदियों ने व्रत रखा है और अन्य कैदी आत्मानुशासन के साथ शुद्ध अन्तःकरण एवं निर्मल मन से इस पर्व के अनुष्ठानों को पूरा करने में व्रतियों को सहयोग करते दिखे।

जेल महानिरीक्षक जितेंद्र श्रीवास्तव के अनुसार, राज्य भर की विभिन्न जेलों में करीब 800 कैदियों ने छठ व्रत रखा है और जेल प्रशासन द्वारा उन कैदियों को पूजा सामग्री की आपूर्ति किए जाने के अलावा परिसर को साफ-सुथरा बनाने और व्रतियों के अभिवादन के लिए रास्तों की साज-सज्जा में मदद की गयी है।

दुर्लभ धार्मिक त्योहारों में से एक छठ में किसी पुरोहित की आवश्यक्ता नहीं होती है तथा यह पुरुषों और महिलाओं के बीच समान रूप से लोकप्रिय माना जाता है। इस पर्व को लेकर जेलों के भीतर बंद कैदियों में उतना ही उत्साह दिखा जितनी बाहर की दुनिया में।

पटना के बाहरी इलाके बेउर सेंट्रल जेल में 10 पुरुष और 12 महिलाओं ने छठ का व्रत रखा है जबकि दूर भारत-नेपाल सीमा के करीब शिवहर जिले की कारा में 14 पुरुष और 22 महिला कैदियों ने इस बार छठ का व्रत रखा है।

जेल महानिरीक्षक ने बताया कि भागलपुर की विभिन्न जेलों में 137, मोतिहारी में 114, दरभंगा में 75, बेगूसराय में 73 और बेतिया में 62, पूर्णिया में 41, गोपालगंज में 34, अररिया में 32, सहरसा में 31, सीवान में 29, पटना के बेउर जेल में 22, सुपौल में 20, बक्सर में 17, बांका में 16, गया में 13, सासाराम में 12, झंझारपुर में 11, बेनीपुर में 10, आरा एवं बेनीपट्टी में नौ-नौ, बिहारशरीफ एवं मुंगेर में छह-छह, औरंगाबाद एवं मधेपुरा में पांच-पांच और भभुआ में दो कैदियों ने इस बार छठ व्रत रखा है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बार मुख्यमंत्री आवास में ही अपने परिवार के निकट सदस्यों के साथ अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया तथा राज्यवासियों की सुख, शांति एवं समृद्धि के लिये ईश्वर से प्रार्थना की।

इससे पहले नीतीश प्रत्येक वर्ष शाम के अर्घ्य के दौरान व्रर्तियों और श्रद्धालुओं को बधाई देने के लिए राज्य की राजधानी पटना के निकट गंगा नदी में स्टीमर की सवारी किया करते थे।

इस महीने की शुरुआत में गंगा किनारे अवस्थित घाटों पर छठ की तैयारियों का जायजा लेने के क्रम में उनकी स्टीमर के गंगा बने एक पुल के एक पाया से टकरा जाने से उनके पेट और पैर में चोट आयी थी।

मुख्यमंत्री ने अपने इकलौते बेटे निशांत सहित करीबी रिश्तेदारों के साथ अपने 7 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर इस बार त्योहार मनाया।

हालांकि, घाटों पर व्रतियों ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपने बीच पाया जो कहीं भी कुछ कमी पाने पर अधिकारियों को निर्देश देते दिखे।

तेजस्वी ने टीशर्ट और ट्रैक पैंट पहने हुए तथा चेहरे पर मास्क लगाए हुए शनिवार देर रात घाटों का औचक निरीक्षण किया था। उन्होंने कहा, ‘‘छठ की लोकप्रियता अब राज्य की सीमा तक बंधी नहीं रह गयी है। देश के दक्षिणी हिस्सों और यहां तक कि विदेशों में भी लोग अब इस त्योहार के बारे में जानते हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि अपने राज्य आए लोग बिना किसी कठिनाई के त्योहार मनाएं।’’

इस त्योहार का समापन सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ पूरा होगा।

भाषा अनवर सुरभि

सुरभि


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