बिहार में पिछले वर्षों की तुलना में आपराधिक वारदातों में कमी आई: गृह विभाग

बिहार में पिछले वर्षों की तुलना में आपराधिक वारदातों में कमी आई: गृह विभाग

बिहार में पिछले वर्षों की तुलना में आपराधिक वारदातों में कमी आई: गृह विभाग
Modified Date: December 22, 2025 / 06:02 pm IST
Published Date: December 22, 2025 6:02 pm IST

पटना, 22 दिसंबर (भाषा) बिहार के गृह विभाग ने सोमवार को बताया कि राज्य में पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष आपराधिक वारदातों, विशेषकर संगीन अपराधों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।

गृह विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, हत्या के मामलों में 7.72 प्रतिशत, डकैती के मामलों में 24.87 प्रतिशत और दंगा से जुड़े मामलों में 17.97 प्रतिशत की गिरावट आई है।

वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर भी राष्ट्रीय औसत से लगभग आधी यानी 37.50 रही है।

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अधिकारियों ने राज्यभर की आपराधिक स्थिति का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने बताया कि इस वर्ष 25 कुख्यात अपराधियों के खिलाफ निरुद्ध आदेश पारित किए गए, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की सुसंगत धाराओं के तहत अपराध से अर्जित संपत्ति के मामलों में 1,419 अपराधियों को चिह्नित किया गया, जिनमें से 405 के खिलाफ प्रस्ताव न्यायालय को भेजे गए हैं।

उन्होंने बताया कि इनमें 70 अपराधियों की संपत्ति जब्ती की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है, जबकि तीन मामलों में संपत्ति कुर्क करने का आदेश पारित हो चुका है।

अधिकारी ने बताया कि जनवरी से नवंबर के बीच 12 लाख 50 हजार लोगों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की गई है और 3 लाख 81 हजार 823 लोगों से मुचलके भरवाए गए हैं।

अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत 1,949 अपराधियों के खिलाफ जिला या थाना बदर का आदेश जारी किया गया है।

चौधरी ने बताया कि इसी अवधि में हत्या, डकैती, लूट, एससी-एसटी, दुष्कर्म समेत अन्य संगीन अपराधों में 3 लाख 35 हजार 116 अपराधियों की गिरफ्तारी की गई है तथा इस दौरान 4,528 हथियार और 28 हजार 414 कारतूस बरामद किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 और 2025 में सांप्रदायिक घटनाओं से जुड़े 437 मामलों में अभियोजन की स्वीकृति दी गई है।

पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा 2023 में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराध का राष्ट्रीय औसत 66.20 है, जबकि बिहार में यह 37.50 है।

उन्होंने बताया कि वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध की दर बिहार में 8.50 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 12.40 है तथा इन मामलों में आरोप पत्र दाखिल करने की दर 87.90 प्रतिशत रही है।

अधिकारी ने बताया कि राज्य में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध पर नियंत्रण के लिए शीघ्र ही एक विशेष इकाई का गठन किया जाएगा, जिसकी निगरानी अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) रैंक के अधिकारी करेंगे।

अपर मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक ने संयुक्त रूप से बताया कि नए आपराधिक कानूनों के तहत मुकदमों की गुणवत्तापूर्ण जांच, समयबद्ध आरोप-पत्र दाखिल करने और अपराधियों को सजा दिलाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

जेल महानिरीक्षक (आईजी) प्रणव कुमार ने बताया कि जेलों में बंद कैदियों से मुलाकात के लिए एक नई आधुनिक प्रणाली विकसित की गई है, जिसकी शुरुआत 15 जेलों में की गई है और जल्द ही इसे सभी जेलों में लागू किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष जेलों में कैदियों को कंप्यूटर समेत अन्य व्यावसायिक प्रशिक्षण अधिक संख्या में दिया गया है।

अधिकारी ने बताया कि 10वीं और 12वीं कक्षा में भी सर्वाधिक कैदियों का नामांकन कराया गया है।

भाषा कैलाश जितेंद्र

जितेंद्र


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