लोगों का विश्वास जीतने में विफल रही जन सुराज, चुनावी नतीजों की समीक्षा होगी : पवन के. वर्मा

लोगों का विश्वास जीतने में विफल रही जन सुराज, चुनावी नतीजों की समीक्षा होगी : पवन के. वर्मा

लोगों का विश्वास जीतने में विफल रही जन सुराज, चुनावी नतीजों की समीक्षा होगी : पवन के. वर्मा
Modified Date: November 14, 2025 / 12:54 pm IST
Published Date: November 14, 2025 12:54 pm IST

पटना, 14 नवंबर (भाषा) जन सुराज पार्टी (जेएनपी) के प्रवक्ता पवन के. वर्मा ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में जनता का विश्वास जीतने में क्यों विफल रही, इसकी वह गंभीरता से समीक्षा करेगी।

निर्वाचन आयोग के आंकड़ों और अब तक के रुझानों में चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की पार्टी कोई खास छाप छोड़ने में असफल नजर आ रही है जबकि चुनाव पूर्व उसने अपने संगठन को खड़ा करने के लिए जमीनी स्तर पर खासा प्रयास किया था।

वर्मा की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत हासिल करता दिख रहा है।

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निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार, राजग 187 विधानसभा सीटों पर आगे है, जबकि विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन केवल 49 सीटों पर ही बढ़त हासिल कर सकी है।

राजग के प्रमुख घटक जनता दल (यूनाईटेड) 85 सीटों पर आगे है, भाजपा 76 सीटों पर, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 22 और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (एस) 5 सीटों पर आगे हैं।

महागठबंधन में राजद को 35 सीटों पर बढ़त मिली है, उसके बाद कांग्रेस (6), भाकपा (माले)-लिबरेशन (7), वीआईपी (आई) और माकपा (एम) एक-एक सीट पर आगे है। बहुजन समाज पार्टी एक सीट पर, एआईएमआईएम दो और राष्ट्रीय लोक मोर्चा एक सीट पर आगे है।

निर्वाचन आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि किशोर की पार्टी खाता खोलने के लिए भी संघर्ष कर रही है जबकि चुनाव से पहले उसने बड़े-बड़े दावे किए थे।

वर्मा ने पीटीआई वीडियो से बातचीत में कहा कि जन सुराज ‘ईमानदारी और दृढ़ विश्वास’ के साथ चुनाव में उतरी थी लेकिन वह मतदाताओं का विश्वास जीतने में विफल रही।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पूरी ईमानदारी के साथ काम किया, इस विश्वास के साथ कि बिहार को मौलिक परिवर्तन की आवश्यकता है। प्रयास में कोई कमी नहीं थी। लेकिन अगर हमने लोगों का विश्वास नहीं जीता है, तो हम इसका विश्लेषण करेंगे और इस पर विचार करेंगे।’’

वर्मा ने जोर देकर कहा कि पार्टी भले ही इस चुनाव में ‘लड़खड़ा’ गई लेकिन वह मुख्यधारा के दलों को जनता के मुद्दों पर सोचने के लिए मजबूर करने में सफल रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक बात हमें संतोष देती है कि रोजगार, पलायन, शिक्षा और भ्रष्टाचार मुक्त बिहार का जन सुराज का एजेंडा अब हर पार्टी के एजेंडे का हिस्सा होगा।’’

राजग के प्रदर्शन के बारे में वर्मा ने कहा कि चुनाव परिणाम अक्सर पूर्वानुमानों को खारिज कर देते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कई चुनाव देखे हैं जहां परिणाम प्रत्याशित से अलग होते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि नीतीश जी को बिहार में स्वीकार्यता और सम्मान प्राप्त है। मैंने उनके साथ मिलकर काम किया है और हमें खुशी है कि उन्हें लोगों का जनादेश मिला है। हम उनके अच्छे होने की कामना करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी अपने निराशाजनक प्रदर्शन पर आत्ममंथन करेगी, वर्मा ने कहा कि जन सुराज अपनी कमियों की समीक्षा करेगा, भले ही उसके ‘विजन’ और प्रयासों में कोई खामी नहीं रही।

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं कि नतीजे निराशाजनक हैं। अब हम विश्लेषण करेंगे कि आगे क्या करने की जरूरत है।’’

चुनावी झटके के बाद प्रशांत किशोर के बिहार छोड़ने की अटकलों को वर्मा ने खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘वह रहेंगे या जाएंगे यह उनका निजी फैसला है। लेकिन वह बिहार को नहीं छोड़ सकते हैं और न ही बिहार उन्हें छोड़ सकता है। एक बार पूरे परिणाम आने के बाद, वह भविष्य की रणनीति पर अपनी प्रतिक्रिया साझा करेंगे।’’

भाषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र मनीषा

मनीषा


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