Bihar Election Result 2025: बिहार में NDA की तूफ़ानी जीत, 95% स्ट्राइक रेट ने बदला खेल, ढह गया महागठबंधन का मजबूत किला
Bihar Election Result 2025: बिहार में NDA की तूफ़ानी जीत, 95% स्ट्राइक रेट ने बदला खेल, ढह गया महागठबंधन का मजबूत किला
Bihar Election Result 2025
- भाजपा 90% स्ट्राइक रेट के साथ बिहार की सबसे बड़ी पार्टी
- महागठबंधन बुरी तरह ढहा
- तेजस्वी के नेतृत्व में राजद 35 सीट के आसपास सिमटी
पटना: Bihar Election Result बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) शुक्रवार को भारी बहुमत की ओर अग्रसर रहा और 243 में से 200 से अधिक सीट पर बढ़त बनाए हुए है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगभग 90 प्रतिशत ‘स्ट्राइक रेट’ के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इस ‘स्ट्राइक रेट’ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और चुनावी नेतृत्व को एक बार फिर पुष्ट किया। अत्यधिक संवेदनशील माने जाने वाले बिहार में पूरी चुनावी जंग के दौरान मोदी ही राजग का मुख्य चेहरा रहे।
Bihar Election Result राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और तीन वामदलों से मिलकर बने महागठबंधन का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। सर्वेक्षणों और ओपिनियन पोल में तेजस्वी यादव को सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में दिखाए जाने के बावजूद, विपक्ष 35 सीट के आसपास सिमटता दिख रहा है।
भाजपा ने 101 में से 35 सीट जीत ली और 55 पर बढ़त बनाई हुई है। पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में जो भी झटका लगा और सहयोगियों पर उसे निर्भर रहना पड़ा, इस विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन के बलबूते पार्टी उस झटके से उबरेगी और राष्ट्रीय राजनीतिक ताकत के रूप में उसकी स्थिति मजबूत होगी। महिलाओं की भारी मतदान भागीदारी—जो पुरुषों की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक रही—राजग के पक्ष में निर्णायक साबित होती दिखी। कई अध्ययनों ने इशारा किया है कि बिहार में महिला मतदाता परंपरागत रूप से राजग की ओर अधिक झुकाव रखती हैं।
बिहार में राजग का प्रदर्शन दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा की लगातार मिली सफलताओं की पृष्ठभूमि में आया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मंत्रियों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मिला मजबूत समर्थन जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के लिए अत्यंत लाभदायक साबित हुआ। वर्ष 2020 में महज 43 सीट जीतने वाली पार्टी इस बार 24 सीट जीत चुकी है और 64 पर आगे है । उसे लगभग 19 प्रतिशत वोट शेयर मिला है।
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (राम विलास) ने दो सीट पर जीत दर्ज की और 17 पर बढ़त बनाए हुए है। लोजपा (राम विलास) ने 29 सीट पर चुनाव लड़ा है। एक सीट पर उसके उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया था। इनमें से 17 सीट 2020 के चुनावों में महागठबंधन के पास थीं, जो इस बार राजग के खाते में चली गईं।
सरकार बनाने के लिए 122 सीट का बहुमत आवश्यक है। चुनाव में राजग के समर्थन में जिन मुद्दों ने असर डाला, उनमें केंद्र और राज्य दोनों में राजग सरकार के ‘डबल इंजन विकास’ का वादा, प्रति माह 125 यूनिट मुफ्त बिजली, सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बढ़ोतरी और एक करोड़ से अधिक महिलाओं को 10,000 रुपए का लाभ शामिल रहा। विपक्ष भाजपा के उस आरोप का भी सक्षम प्रतिवाद नहीं कर सका कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी “जंगलराज के नए कपड़े” पहनकर लौटना चाहती है। बिहार में यह चुनाव दो चरणों में हुए और मतदाता सूची संशोधन में अनियमितताओं के आरोपों के बीच हुए मतदान को कई राजनीतिक पर्यवेक्षक बंगाल और असम में अगले छह महीनों में होने वाले चुनावों की झांकी के रूप में भी देख रहे हैं।
भाजपा सांसद और मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “राजग बिहार में शानदार जीत की ओर।” पटना स्थित भाजपा और जदयू कार्यालयों में ढोल-नगाड़ों और पटाखों के बीच जश्न मनाया गया। समर्थकों ने अपने-अपने नेताओं के समर्थन में नारे लगाए। मुख्यमंत्री आवास के बाहर जदयू के कार्यकर्ता “टाइगर अभी जिंदा है” लिखे पोस्टर थामे हुए फोटो खिंचवाते दिखे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने हंसते हुए कहा, “नीतीश कुमार का कद तो बाघ से भी ऊंचा है। और हमें पूरा विश्वास है कि ये रुझान नतीजों में बदलेंगे।”
भाजपा के प्रमुख विजेताओं में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (तरापुर), मंत्री प्रेम कुमार (गया टाउन), संजय सरावगी और राजू कुमार सिंह (साहेबगंज) शामिल रहे। जदयू के उल्लेखनीय विजेताओं में मंत्री महेश्वर हजारी (क़ल्यानपुर) और जेल में बंद पूर्व विधायक अनंत सिंह (मोकामा) शामिल थे। भाजपा 101 सीट पर वह चुनाव लड़ रही थी। उसने करीब 21 प्रतिशत वोट हासिल किए।
राजद छह सीट जीतकर और 20 पर आगे रहकर बेहद खराब प्रदर्शन की ओर बढ़ रहा है। राजद पिछले वर्षों में अपने ‘सबसे बड़ी पार्टी’ होने के दावे पर जोर देता रहा था। तेजस्वी यादव राघोपुर से चुनाव जीत गये। तेजस्वी यादव के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कटाक्ष करते हुए कहा था कि राजद ने गठबंधन सहयोगियों के ‘सिर पर कट्टा रखकर’ उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कराया है।
राजग की छोटी साझेदार हम (से) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा क्रमशः पांच और चार सीट पर आगे हैं। दोनों दलों ने छह-छह सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। कांग्रेस ने 61 में से केवल एक सीट जीती थी और पांच पर आगे है। इनमें से कई सीटों पर सहयोगियों के खिलाफ “मैत्रीपूर्ण मुकाबला” भी हुआ। कांग्रेस को ‘इंडिया’ गठबंधन की “कमजोर कड़ी” माना जाता है। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने राहुल गांधी पर तंज कसा, “नेहरूजी की जयंती पर राहुल का कांग्रेस को तोहफा—95 बार फिर हार। न विरासत बची, न विश्वसनीयता।’’
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम छह सीट पर आगे है। पार्टी ने 32 सीटों पर चुनाव लड़ा था।एआईएमआईएम को अक्सर भाजपा की “बी-टीम” कहा जाता है। प्रशांत किशोर की चर्चित जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और उसके किसी भी उम्मीदवार ने बढ़त नहीं बनाई। लगातार दो चुनावों में भाजपा के जदयू से बेहतर प्रदर्शन के बाद पार्टी के भीतर “अपना मुख्यमंत्री” की मांग उभरने की संभावना भी जताई जा रही है। बिहार उन राज्यों में से है जहां भाजपा अब तक अपने बल पर सरकार बनाने में सफल नहीं रही है।
हालांकि प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अब तक इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है और कहते रहे हैं कि बिहार में राजग का नेतृत्व नीतीश कुमार के हाथ में है—शायद इसलिए कि संसद में बहुमत से दूर भाजपा को सरकार में बने रहने के लिए जदयू और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा जैसे सहयोगियों की ज़रूरत है।

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