अच्छा है एक दीप जला लें | blog on 5th april 9 pm 9 minutes appeal by narendra modi by sourabh tiwari

अच्छा है एक दीप जला लें

अच्छा है एक दीप जला लें

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 03:30 AM IST, Published Date : April 5, 2020/8:40 am IST

नरेंद्र मोदी का विरोध ही उनकी असली ताकत है। आज रात नौ बजे एक बार फिर उनकी इस ताकत की आजमाइश होने जा रही है। फिलहाल रुझान तो यही बता रहे हैं कि वो फिर जीतने वाले हैं। रात नौ बजे के बाद कहीं दीप जलेंगे, कहीं दिल।

बिडंबना ये है कि मोदी विरोधी सदैव उनके साथ मुकाबले की स्थिति में ही खड़े रहना चाहते हैं। कुछ मौकों पर बिना बात, बेवजह, बेवक्त। बस विरोध के लिए विरोध। मोदी ने कहा है, केवल इसलिए विरोध।

अब आज रात 9 बजे दीप प्रज्ज्वलित करने की प्रधानमंत्री की अपील को ही ले लीजिए। उन्होंने कोरोना संकट से निपटने में जुटे कर्मवीरों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करने एवं इस आपदा की घड़ी में एक दूसरे को संबल प्रदान करने के लिए एक दीप ही तो जलाने के लिए कहा है। अब इस अपील में ऐसा क्या है कि आसमान सर पर उठा लिया जाए। कोरोना आपदा काल में छाए नकारात्मकता के अंधियारे को दूर करके दिल में सकारात्मकता की रोशनी करने के लिए बस एक दीप ही तो जलाना है। आभार और आशा को समर्पित एक दीप।

अब विरोधियों को इस अपील में भी अपना मकसद तलाशना है तो उनकी मर्जी। कोई इवेंट तलाश रहा है, तो कोई ढकोसला। तलाशिए, खूब तलाशिए। कुछ हाथ नहीं आना है, सिवाए एक और मात के। पता है ना, कि मोदी का विरोध ही उनकी असली ताकत है।

दरअसल, दिक्कत विरोध में नहीं, विरोध के तौर तरीके और समय के गलत चयन में है। माना कोरोना संकट से निपटने के दौरान कुछ मोर्चों पर सरकार नाकाम साबित हुई होगी। लेकिन मोदी कहीं भागे नहीं जा रहे, बाद में उन्हें खूब गरिया लेंगे। अभी तो ये अपने नागरिक संस्कारों को प्रदर्शित करने की घड़ी है। समस्या की बजाए समाधान तलाशने की घड़ी। खुन्नसी निंदा की बजाए समालोचना की घड़ी। दुराग्रही खोट निकालने की बजाए सदाग्रही सुझाव देने की घड़ी। ‘भक्त’ और ‘अंधविरोधी’ की बजाए नागरिक बनकर चुनौती का सामना करने की घड़ी।

सबको पता है कि थाली और ताली बजाने से कोरोना का वायरस नहीं भागा है। ये भी पता है कि दीप और टार्च जलाने से भी कोरोना नहीं मरेगा। बात दरअसल इस प्रयोजन में निहित मानसिक पहलु और अवसाद से उबरने के मनोवैज्ञानिक उपाय की है।

फिर भी विरोधियों को विरोध ही करना है तो उनकी मर्जी। फिर याद दिला रहा हूं- मोदी का विरोध ही उनकी असली ताकत है। याद है ना! पिछली बार विरोध किया था तो भक्तों ने घंटी की बजाए घंटा और थाली की बजाए परात बजाकर प्रतिकार किया था। इस बार विरोधियों का दिल जलाने के लिए वो मोमबत्ती की बजाए मशाल और टार्च की बजाए सर्चलाइट जला बैठें तो हैरान मत होइएगा।

वैसे, प्रधानमंत्री ने दीप किस लिए और किनके लिए जलाने को कहा है, ये समझाने के लिए ये संलग्न तस्वीर ही काफी है।

 

सौरभ तिवारी

डिप्टी एडिटर, IBC24

 
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