Nindak Niyre: क्या मल्लिकार्जुन खड़गे बन पाएंगे अलगू चौधरी-जुम्मन शेख, कांग्रेस का उत्थान सिर्फ पार्टी की जरूरत नहीं देश की जरूरत भी है

कांग्रेस को उम्मीद करना चाहिए कि वह अब अपने नए अध्यक्ष के साथ सांगठनिक ढांचे में और भी बदलाव करेगी। देश में एक मजबूत विपक्ष के रूप में अपनी पूरी शक्ति लगाएगी

Nindak Niyre: क्या मल्लिकार्जुन खड़गे बन पाएंगे अलगू चौधरी-जुम्मन शेख, कांग्रेस का उत्थान सिर्फ पार्टी की जरूरत नहीं देश की जरूरत भी है
Modified Date: November 29, 2022 / 08:07 pm IST
Published Date: October 26, 2022 1:02 pm IST

Barun Sakhajee

Barun Sakhajee,
Asso. Executive Editor

बरुण सखाजी. सह-कार्यकारी संपादक

कांग्रेस को उम्मीद करना चाहिए कि वह अब अपने नए अध्यक्ष के साथ सांगठनिक ढांचे में और भी बदलाव करेगी। देश में एक मजबूत विपक्ष के रूप में अपनी पूरी शक्ति लगाएगी। 1977, 1989 और 1996 जैसी लाचारी देश को नहीं फंसाएगी। जब दुनिया सूचना का महायुद्ध लड़ रही है, दुनियाभर की बिरादरी में सामाजिक एजेंडे व्याप्त हैं, सैन्य शक्तियां जब-तब एक दूसरे को आंखें दिखा रही हैं, प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जे की अंतरराष्ट्रीय दौड़ है, तब भारत में जरा भी राजनीतिक प्रयोग घातक हो सकता है। भारत दुनिया में ऐसे बड़े देशों में इकलौता देश है, जहां प्राकृतिक रूप से अधिकतम तत्व हैं। आबादी के रूप में खपत है और नवाचार व शोध के लिए अच्छे ब्रेन हैं। ऐसे में किसी भी तरह का राजनीतिक प्रयोग ऐसा हुआ जिसमें सरकार स्तर पर संघीय शक्ति काम न कर पाई तो मुश्किल हो जाएगी। कुल जमा अब देश फ्रक्चर मैंडेट या खिचड़ी सरकारों के लिए अभिशप्त नहीं होना चाहिए। यह तय करना देश का तो काम है ही साथ ही यह तय करना कांग्रेस का भी काम है।

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इसका अर्थ यह कतई नहीं कि मोदी और भाजपा ही देश पर राज करते रहें। देश पर कौन राज करे और कौन विपक्ष में बैठे यह तय करना सामूहिक चेतना का काम है। ऐसे में कांग्रेस के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी परोक्ष रूप से हमेशा रही है। देश जब मोदी या भाजपा को बदलना चाहे तो उसके पास सुस्पष्ट विजन, मिशन, कार्यक्रम और देशराग वाला दल विकल्प के रूप में होना चाहिए। कांग्रेस नए अध्यक्ष के साथ इस दिशा में बढ़े तो ज्यादा अच्छा होगा। वंशवाद के दंश से वह परिवार के बाहर के अध्यक्ष वाले फॉर्मूले से कुछ तो उबरी हुई दिख रही है, लेकिन अभी विश्वास का संकट बरकरार है।

इसके लिए एक ही मूल मंत्र काम कर सकता है। हर कार्यक्रम हर पार्टी कार्यकर्ता की चौखट तक लेकर जाएं, किसी एक चौखट को चूमते न रहें। संयुक्त रूप ऐसे प्रयास दिखने चाहिए जिससे पार्टी 2024 या बाद में भाजपा और मोदी का सशक्त विकल्प बनकर उभर सके। कांग्रेस के नए अध्यक्ष कुर्सी पर बैठते ही प्रेमचंद के अलगू चौधरी और जुम्मन शेख बन जाने चाहिए। वे तटस्थ होकर पार्टी और देश के हित में सोचें। उम्मीद है खड़गे ऐसा सोच सकते हैं।

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Associate Executive Editor, IBC24 Digital