MSP Hike: नई दिल्ली। आने वाले साल में लोकसभा चुनाव होना प्रस्तावित है। इससे पहले केंद्र सरकार आम जनता को हितो का हवाला देतें हुए कई घोषणाएं कर रही है। इसी बीच किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। सरकार ने किसानों को लुभाने के लिए इस बार सबसे ज्यादा एमएसपी देने का फैसला लिया है। सरकार के इस कदम को काफी खास माना जा रहा है क्योंकि केन्द्रीय मंत्रिमंडल के द्वारा किसानों के लिए MSP में बड़ोत्तरी पूरे 9 साल बाद की गई है। जोकि देशभर के करोड़ों किसानों के लिए एक बड़ा तोहफा है। इस बार MSP बढ़ोतरी की खास बात यह है कि साल 2014 के बाद इस बार MSP में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है। जोकि देश के सभी किसानों के लिए एक बड़ी सौगात है। सरकार के इस फैसले को चुनावी दौर का बड़ा कदम भी माना जा रहा है।
MSP Hike: आपको बता दें कि 2014 के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा एमएसपी में इतना बड़ा इजाफा किया गया है। जिसके अनुसार सरकार ने मार्केटिंग सेशन 2024-25 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 150 रुपये बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा कर दी है। यह मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की लिए फैसला लिया गया। जिसके तहत इस बार किसानों की फसल सरसों पर 200 रुपये, मसूर पर 425 रुपये, गेहूं पर 150 रुपये, जौ पर 115 रुपये, चने पर 105 रुपये और सनफ्लावर पर 150 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी बढ़ाने का फैसला लिया है।
MSP Hike: सूत्रों के हवाले से देश में करीब 10 करोड़ परिवारों की जिंदगी खेती पर निर्भर है। इस दौरान सरकार का यह कदम 10 करोड़ परिवारों की जिंदगी संवारेगा। क्योकि पहली बार ऐसा हुआ है। कि जीडीपी में खेती-बारी का हिस्सा लंबे समय के बाद बड़ा हो। इससे पहले साल 2020-21 में देश की जीडीपी में एग्रीकल्चर सेक्टर का हिस्सा 20 प्रतिशत हो गया है। इसके पहले एग्री सेक्टर की हिस्सेदारी 17.8 प्रतिशत थी।
MSP Hike: गेहूं के अलावा सरकार ने चना, जौ, मसूर, रैपसीड-सरसों के बीज और सनफ्लावर की भी एमएसपी में इजाफा कर दिया है। जिससे गेहूं के आटे की उपभोक्ता कीमतें पिछले डेढ़ साल से दबाव में होने के बाद भी इस फसल के मूल्य में काफी इजाफा हुआ है। आपको बता दें कि इस इजाफे से मध्य प्रदेश और राजस्थान प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले सरकार का यह बड़ा फैसला है।
MSP Hike: सरकार ने किसानों को उनकी फसलों का अच्छा दाम देने के लिए एमएसपी की सुविधा शुरू की थी। जिसके तहत सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है। जिसे न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है। अगर कभी फसलों की बाजार कीमत गिर जाती है, तब केंद्र की सरकार इस एमएसपी पर ही किसानों से फसल खरीदती है।
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