51 साल से इन गांवों में नहीं खेली जा रही होली, चूल्हा जलाना भी वर्जित, जानें खास वजह…

Holi is not being celebrated in Nalanda for 51 years होली के दिन ग्रामीण रंग गुलाल और हुड़दंग नहीं बल्कि भक्ति में लीन रहते हैं।

51 साल से इन गांवों में नहीं खेली जा रही होली, चूल्हा जलाना भी वर्जित, जानें खास वजह…

Holi is not being celebrated in Nalanda

Modified Date: March 3, 2023 / 10:45 am IST
Published Date: March 3, 2023 10:45 am IST

Holi is not being celebrated in Nalanda : नालंदा। होली का नाम लेते ही रंग गुलाल और हुड़दंग का ख्याल मन में आता है। लेकिन आपको बता दें कि बिहार के नालंदा ज़िले के 5 गांवों में होली मनाने की अलग ही परंपरा है। होली के दिन ग्रामीण रंग गुलाल और हुड़दंग नहीं बल्कि भक्ति में लीन रहते हैं। यहां होली के दिन चूल्हा भी नहीं जलता है। लोग शुद्ध शाकाहारी खाना खाते हैं वो भी बासी। मांस मदिरा पर पूर्ण प्रतिबंध होता है। गांव में फूहड़ गीत भी नहीं बजते हैं।

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ये हैं सदर प्रखंड बिहार शरीफ से सटे पतुआना, बासवन बीघा, ढिबरापर, नकतपुरा और डेढ़धरा गांव। यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि यह परंपरा वर्षों पुरानी है, जो 51 साल से चली आ रही है।

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होली से बेहतर भगवान को करें याद

इस संबंध में पद्मश्री से सम्मानित बसवन बीघा गांव निवासी कपिल देव प्रसाद बताते हैं कि एक सिद्ध पुरुष संत बाबा उस ज़माने में गांव में आए और झाड़फूंक करते थे, जिनके नाम से आज एक मंदिर गांव में है। जहां दूर दराज से श्रद्धालु आस्था के साथ मत्था टेकने पहुंचते हैं। लेकिन उनकी 20 वर्ष पूर्व मृत्यु हो गई। उन्होंने लोगों से कहा कि यह कैसा त्योहार है जो नशा करता है और फूहड़ गीत के साथ नशे में झूमते हो। इससे तो बेहतर है कि भगवान को याद करो। वे सामाजिक व्यक्ति भी थे।

उन्होंने कहा… क्योंकि इससे झगड़ा और फसाद होगा। इसलिए बढ़िया यह है कि आपसी सौहार्द और भाईचारे रखने के लिए अखंड पूजा करो, जिससे शांति और समृद्ध जीवन व्यतीत होगा। उसके बाद से यह परंपरा अब तक चली आ रही है।

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होली पर चूल्हा जलाना भी वर्जित

Holi is not being celebrated in Nalanda : इसमें खास बात यह है कि धार्मिक अनुष्ठान शुरू होने से पहले ग्रामीण घरों में मीठा व शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाकर तैयार कर लेते हैं। जब तक अखंड का समापन नहीं होता घर में चूल्हा और धुआं निकलना वर्जित रहता है। इतना ही नहीं गांव के लोग नमक के इस्तेमाल से भी बचते हैं। भले ही हर जगह होली में रंगों की बौछार हो। नालंदा के इस्पात गांव में होली के दिन यह परंपरा पूर्वजों से चली आ रही है जो अब तक जारी है।

 

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