Mahavir Jayanti 2023: आज महावीर जयंती पर जानें पंचशील सिद्धान्त, बदल जाएगा जीवन जीने का अंदाज
Learn Panchsheel principle on Mahavir Jayanti today महावीर जयंती पर 24वें जैन तीर्थांकर वर्धमान महावीर का जन्म जन्मोत्सव मनाया जाता है।
PM Modi greeted the countrymen on Mahavir Jayanti
Mahavir Jayanti today : महावीर जयंती पर 24वें जैन तीर्थांकर वर्धमान महावीर का जन्म जन्मोत्सव मनाया जाता है। दरअसल चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तिथि के दिन 599 ई.पू. महावीर स्वामी का जन्म बिहार के वैशाली जिले में कुंडग्राम में हुआ था। इनके जन्मोत्सव को ही महावीर जयंती के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष महावीर जयंती 4 अप्रैल मंगलवार को है।
भगवान महावीर का जन्म और परिचय
भगवान महावीर जैन धर्म के अंतिम तीर्थांकर माने जाते हैं। इनके पिता वज्जि गणराज्य के राजा थे जिनका नाम सिदार्थ है और इनकी माता त्रिशला देवी हैं। महावीर जैन का संबंध भगवान राम से भी माना जाता है। क्योंकि महावीर जैन का जन्म उसी कुल में हुआ था जिस कुल में भगवान राम का जन्म हुआ था। भगवान राम और महावीर जैन दोनों ही सूर्यवंशी हैं और दोनों का जन्म इच्छवाकु वंश में हुआ है।
महावीर जयंती का महत्व
महावीर जयंती का पर्व जैन समुदाय में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। सभी मंदिरों में इस अवसर पर विशेष पूजा और कार्यक्रमों का आयोजन होता है और जगह-जगह भव्य शोभा यात्रा भी निकाली जाती है। इस दिन सभी सभी स्कूल-कॉलेज और बैंक इत्यादि बंद रहते हैं। सभी लोग एक-दूसरे से मिलकर महावीर जन्म कल्याणक महोत्व की शुभकामनाएं देते हैं।
भगवान महावीर के पंचशील सिद्धांत
Mahavir Jayanti today : जैन धर्म के प्रचार और प्रसार में भगवान महावीर का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने दुनिया को पंचशील सिद्धांत दिया। इस पंचशील सिद्धांत की 5 प्रमुख बातें सत्य, अहिंसा, अस्तेय यानी चोरी नहीं करना, अपरिग्रह यानी विषय एवं वस्तुओं के प्रति आसक्त न हों और ब्रह्मचर्य है। उनके जीवन के इस पंचशील सिद्धांत को अपना कर मनुष्य मानव जीवन के वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है।
अहिंसा
उनका कहना था कि मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में हिंसा से दूर रहना चाहिए। भूलकर भी किसी को कष्ट ना पहुंचाए।
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सत्य
भगवान महावीर कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ। जो बुद्धिमान सत्य के सानिध्य में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है।
अस्तेय
अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते। संयम से रहते हैं और केवल वही लेते हैं जो उन्हें दिया जाता है।
ब्रह्मचर्य
पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं। भोग-विलास से दूर रहते हैं।
अपरिग्रह
सभी पिछले सिद्धांतों को जोड़ता है। अपरिग्रह का पालन करके, जैनों की चेतना जागती है। वे सांसारिक एवं भोग की वस्तुओं का त्याग कर देते हैं।

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