Nag Panchami Upay: नागराज को प्रसन्न करने के लिए नाग पंचमी के दिन करें ये उपाय, कालसर्प दोष होगा दूर, हर परेशानी से मिलेगी मुक्ति
Nag Panchami Upay: नागराज को प्रसन्न करने के लिए नाग पंचमी के दिन करें ये उपाय, कालसर्प दोष होगा दूर Kal Sarp Dosh Upay
Nag Panchami 2024 Date
Nag Panchami Upay: हिंदू धर्म में हर दिन, तिथि, ग्रह, नक्षत्र, देवी-देवता और तीज-त्योहारों का खास महत्व होता है। ग्रहों के परिवर्तन से सभी राशियों पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अभी सावन का पवित्र महीना चल रहा है। वहीं, सावन खत्म होने के बाद 21 अगस्त के दिन नाग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। नाग पंचमी के पावन पर्व पर नाग देवता की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन किए गए कुछ उपाय ये नागराज प्रसन्न होते हैं और इससे कालसर्प दोष भी दूर होता है।
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नाग पंचमी के दिन करें ये उपाय (Nag Panchami Upay)
- नाग पंचमी के दिन कुंडली के दोषों से मुक्ति पाने के लिए मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के पास मोर पंख लगाएं।
- इस दिन घर के मुख्य द्वार पर गोबर या मिट्टी से नाग देवता की आकृति बना कर उनका पूजन करें।
- नाग पंचमी के दिन चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा बनवा कर शंकर जी के मंदिर में या नाग देवता के मंदिर में चढ़ाने से कुण्डली से सर्प दोष तो दूर ही होता है, साथ ही धन लाभ भी होता है।
- इस दिन राहु केतु के प्रभाव को शांत करने के लिए राहु यंत्र को किसी नदी या फिर बहते हुए जल में प्रवाहित करें साथ ही नवनाग स्तोत्र का पाठ भी करें।
- कालसर्प दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं तो घर के द्वार पर सर्पाकार बनाकर जल से अभिषेक करें और घी चढ़ाएं।
- नागों के 12 नामों का जाप करने से भी नाग देवता को खुश करने में मदद मिलेगी।
- कुण्डली में राहु-केतु की महादशा के कारण बिगड़ते काम को बनाने के लिए चांदी या पंच धातु के नाग-नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
- कालसर्प दोष और राहु-केतु दोष को दूर करने के लिए नाग पंचमी के दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करें।
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नवनाग मंत्र का करें जाप
नाग पंचमी के दिन नवनाग मंत्र का जाप जरूर करें। इससे नागराज प्रसन्न होंगे और आपके जीवन की सारी परेशानी दूर करेंगे।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं।
शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनम्।
सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः।।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।
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