शैलेष नितिन त्रिवेदी पर लगे हैं 130 करोड़ रुपए घोटाले के आरोप, कुर्मी बाहुल्य बलौदाबाजार में मुश्किल दिख रही जीत!

Balodabazar Assembly Election 2023 : कांग्रेस प्रत्याशी शैलेष नीतिन त्रिवेदी के लिए बलौदा बाजार से विधानसभा जीतने की राह आसान नहीं होने

शैलेष नितिन त्रिवेदी पर लगे हैं 130 करोड़ रुपए घोटाले के आरोप, कुर्मी बाहुल्य बलौदाबाजार में मुश्किल दिख रही जीत!

Balodabazar Assembly Election 2023

Modified Date: November 13, 2023 / 11:04 pm IST
Published Date: November 13, 2023 10:36 pm IST

बलौदाबाजार : Balodabazar Assembly Election 2023 : प्रदेश में इस समय विधानसभा चुनाव का माहौल बना हुआ है। एक तरफ जहां सत्ता में काबिज कांग्रेस फिर से अपनी सरकार बनाने के लिए जुटी है पिछले पांच सालो से विपक्ष में बैठी भाजपा फिर से सत्ता में काबिज होने के लिए अपना पूरा दमखम लगा रही है। प्रदेश में कई हॉट सीट है, जिन्हे जितने के लिए दोनों ही पार्टी अपना जोर लगा रही है। प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट में से एक है बलौदा बाजार विधानसभा सीट… कांग्रेस ने इस सीट से पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी को अपना उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं भाजपा ने टांकराम वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है।

आसान नहीं होगी शैलेष की राह

Balodabazar Assembly Election 2023 :  कांग्रेस प्रत्याशी शैलेष नीतिन त्रिवेदी के लिए बलौदा बाजार से विधानसभा जीतने की राह आसान नहीं होने वाली है। ऐसा इसलिए क्योंकि बलौदा बाजार विधानसभा क्षेत्र एक कुर्मी बाहुल क्षेत्र है। यहां कुर्मी समाज का एक बड़ा तबका निवास करता है और कांग्रेस प्रत्याशी एक ब्राह्मण परिवार से आते हैं। ऐसे में कुर्मी बाहुल इलाके में किसी अन्य प्रत्याशी के लिए जीत हासिल करना उतना ही मुश्किल है, जितना शेर के मुंह से खाना छीनना। बलौदा क्षेत्र की जनता के लिए शैलेष नितिन एक ऐसे प्रत्याशी है जिन्हे कोई ठीक से जानता नहीं। शैलेष नितिन पिछले कुछ समय से क्षेत्र का दौरा कर के लगातार अपनी पकड़ बनाने में लगे हुए थे, लेकिन क्षेत्र की जनता ने एक बाहरी प्रत्याशी को सिरे से नकार दिया है। भाजपा ने जनता के मन को टटोलते हुए बलौदा क्षेत्र के निवासी को ही अपना प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं बात की जाए अगर शैलेष नितिन की तो शैलेष नितिन भी बलौदा बजार क्षेत्र के ही निवासी है, लेकिंन उनका अधिकतर समय राजधानी रायपुर में बीतता है। ऐसे में जनता के मन में कई प्रकार के सवाल उठ रहे हैं।

विकास की राह देख रही बलौदा की जनता

Balodabazar Assembly Election 2023 :  जनता की बात करें तो जनता भी इस बार बलौदा क्षेत्र मे एक ऐसे विधायक को चाहती है जो उनके क्षेत्र में विकास करें। बलौदा क्षेत्र में प्रमोद शर्मा विधायक है। प्रमोद शर्मा पहले जोगी कांग्रेस में थे और चुनाव से ठीक पहले जोगी कांग्रेस का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। बलौदा विधानसभा क्षेत्र की जनता लगातार विकास की चाह रख रही है, लेकिन उनकी ये चाह पूरी नहीं हो रही है। ऐसे में एक नए चेहरे पर जनता कितना विश्वास जताती है ये देखने लायक होगा। बलौदा बाजार विधानसभा क्षेत्र की जनता के लिए कांग्रेस प्रत्याशी पर भरोसा जताना इसलिए भी आसान नहीं है क्योंकि 2013 से 2018 तक यहां कांग्रेस के ही विधायक थे, लेकिन फिर भी जनता की अनदेखी की गई। ऐसे में एक बार फिर से कांग्रेस प्रत्याशी का बलौदा बाजार से चुनाव जीतना मुश्किल लग रहा है।

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शैलष नितिन पर लगा घोटाले का आरोप

Balodabazar Assembly Election 2023 :  बात करें शैलेष नितिन त्रिवेदी कि, तो इनपर घोटाले का भी आरोप लग चुका हैं। शैलेष नितिन पर 130 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगा हुआ है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 2023-24 के लिए विभाग ने स्कूली बच्चों को मुफ्त प्रदान करने वाली पुस्तकों की छपाई के लिए करीब 10,000 टन कागज खरीदी की निविदा निकाली गई थी। बता दें कि हर वर्ष 130 करोड़ की खरीदी की जाती है। छपाई के बाद इन किताबों का वितरण हर साल विभाग स्कूली बच्चों को करता है। इस हेतु देश के अन्य प्रांतों से विभिन्न कंपनियों ने निविदा भरा था जिसमें गुजरात के शाह पेपर मिल्स लिमिटेड, पंजाब से सेथिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, चढ्ढा पेपर्स लिमिटेड, उत्तर प्रदेश और श्रेयांस इंडस्ट्रीज, दिल्ली भी शामिल हुए थे।

इसे इत्तेफाक कहें या युनियोजित घोटाला देश के अलग-अलग राज्यों की कंपनियों ने एक ही दिन 19 सितंबर 2022 को एक घंटे के अंतराल में ही टेंडर भर दिया। चौकाने वाली बात यह है कि चार अलग-अलग कंपनियों ने टेंडर का फाइनल सब्मिशन एक ही सिस्टम या लैपटॉप से किया जिसका सिस्टम इंफॉर्मेशन क्रमांक- WIN-0617OQKNPH7 है। टीआरपी ने आईटी विशेषज्ञों से इसकी जानकारी लेकर यह पुख्ता की है।

13 रुपए में खरीदा जा चुका है 78 रुपए का कागज

Balodabazar Assembly Election 2023 :  बता दें टेंडर फाइनल करने के कई नियम होते हैं। जिसमें पहले टेंडरों की स्क्रूटनी की जाती है। कंपनी की भूमिका भी जांची जाती है। कई स्तरों पर दस्तावेजों की जांच के बाद ही किसी कंपनी को एक टेंडर दिया जाता है। ऐसे में पाठ्य पुस्तक निगम की कारस्तानी किसी समझ के समझ में नहीं आई । क्या विभाग ने कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों की जांच नहीं की या उपरी स्तर पर कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए 130 करोड़ का यह टेंडर चार कंपनियों को दे दिया गया। पाठ्य पुस्तक निगम में इससे पहले भी 78 रुपए का कागज 113 रुपए में खरीदा जा चुका है। इन घोटालों के बाद भी शैलेष नितिन चुनाव जीतेंगे या नहीं ये देखने लायक होगा।

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