#स्वर्ण शारादा स्कॅलरशिप 22: बालोद की तनिशा पटेल ने मैथ्स ग्रुप में जिले में किया टॉप, सीएम भूपेश बघेल ने किया सम्मानित

बालोद की तनिशा पटेल ने मैथ्स ग्रुप में जिले में किया टॉप! #Swarna Sharda Scholarship 22: CM Bhupesh Baghel Honored Tanisha Patel

#स्वर्ण शारादा स्कॅलरशिप 22: बालोद की तनिशा पटेल ने मैथ्स ग्रुप में जिले में किया टॉप, सीएम भूपेश बघेल ने किया सम्मानित
Modified Date: November 29, 2022 / 08:50 pm IST
Published Date: July 7, 2022 8:23 pm IST

रायपुर: Swarna Sharda Scholarship 22 अपने सामाजिक सरोकारों को निभाते हुए IBC24 समाचार चैनल हर साल स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप सम्मान से जिले की टॉपर बेटियों को सम्मानित करता है। इस वर्ष भी प्रदेश टॉपर बेटी-बेटियों को IBC24 स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप से सम्मानित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से आयोजित बोर्ड परीक्षा में बालोद जिले की तनिशा पटेल ने अपना परचम लहराया है। कड़ी मेहनत से अंजु साहू ने मैथ्स ग्रुप में 466 अंक हासिल कर जिले में पहला स्थान प्राप्त किया है। उनके इस मेहनत के लिए IBC24 समाचार चैनल की ओर से स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप प्रदान किया जा रहा है।

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तनिशा बनना चाहती है आईएएस

Swarna Sharda Scholarship 22 तनिशा कहती है कि सबका अपना संघर्ष होता है। मेरा भी ऐसा ही कुछ है। अपनी पढ़ाई के लिए ऐसी रणनीति जरूरी होती है, जो आपको थकाए नहीं। ऐसी फ्रैंडली स्ट्रेटजी से ही अच्छे अंक हासिल हो सकते हैं। मैंने रोजाना स्कूल से हटकर 4 से 5 घंटे पढ़ाई की दिनचर्या बनाई थी। हर विषय को ऐसे बांधा कि कहीं कुछ छूटे नहीं। एक तय फॉर्मेट में पढ़ाई जरूरी होती है। इससे अनुशासन बनता है। सबका अपना-अपना पढ़ाई का तौर-तरीका हो सकता है। मेरा भी ऐसा ही रहा। मैंने स्कूल शिक्षकों का भरपूर सहयोग लिया। दिन-रात का समय तय किया। अपने आपको आराम देना भी जरूरी होता है। तबियत खराब न हो इसलिए पढ़ाई से ब्रेक भी लेती थी। इससे मैं फ्रेश हो जाती।

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पढ़ाई के साथ खेलकूद भी जरूरी

पढ़ाई के साथ कुछ खेलकूद भी जरूरी होते हैं। ताकि नयापन बना रहे। दसवीं में भी मेरे अंक 95 फीसद थे। उस वक्त भी अपनी पढ़ाई को ऐसे ही डिजाइन किया था। अभी स्कूल के लिए 3 किलोमीटर दूर तक सायकल से जाती थी। मेरे जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष यह है कि मेरे न मां हैं न पिता। दोनों का स्वर्गवास हो चुका है। मैं अपने बड़े पापा और बड़ी मम्मी के साथ गांव में ही रहती हूं। बड़े पापा का स्नेह मिलता रहा है। बड़ी मम्मी भी प्यार करती हैं। घर पर सब्जी की बाड़ी है। बड़े पापा वन विभाग में थे, रिटायर्ड होकर यहीं सैटल हो गए। अब हम सभी परिवार के साथ यहीं रहते हैं। मैं चाहती हूं आईएएस की तैयारी करूं। इसके लिए मेरी प्लानिंग शुरू हो चुकी है। स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप के सम्मान से अभिभूत हूं।

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लेखक के बारे में

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