The Big Picture With RKM : बीजेपी के कृष्ण प्रेम के मायने क्या? एमपी में प्रयोग के बाद क्या देशभर में पढ़ाया जाएगा कृष्ण भक्ति का नया पाठ? जानें

The Big Picture With RKM : क्या डॉक्टर मोहन यादव का कृष्ण को अपनी राजनीति के केंद्र में लाना बीजेपी की एक सोची समझी रणनीति है? क्या जन्माष्टमी मनाना केवल एक संयोग है या फिर क्या यह कोई नया प्रयोग है?

Modified Date: August 27, 2024 / 03:32 pm IST
Published Date: August 26, 2024 11:42 pm IST

The Big Picture With RKM : रायपुर : मध्य प्रदेश में इस बार जन्माष्टमी का महोत्सव बहुत ही जोर शोर से मनाया जा रहा है और मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव खुद इसका नेतृत्व कर रहे हैं। क्या डॉक्टर मोहन यादव का कृष्ण को अपनी राजनीति के केंद्र में लाना बीजेपी की एक सोची समझी रणनीति है? क्या जन्माष्टमी मनाना केवल एक संयोग है या फिर कोई नया प्रयोग है? क्योंकि बीजेपी समय-समय पर जनता का मन भापने के लिए नए-नए प्रयोग करती रहती है और गुजरात के बाद जब बीजेपी मध्य प्रदेश में सारी सीटें जीती तो यह कहा जा रहा है कि, मध्य प्रदेश भी बीजेपी की एक नई वैद्यशाला बन गया है, जिसमें वह पहले प्रयोग करे और अगर वह सफल होते हैं तो उसको केंद्र में लाया जा सकता है।

क्या अब बीजेपी को लगने लग गया है कि, राम के नाम को जितना भुनाया जा सकता था वो हो चुका है? अब एक नया सिंबल चाहिए हिंदुओं के वोट को इकट्ठा करने के लिए। आपने सुना होगा कि, अयोध्या तो झांकी है काशी-मथुरा बाकी है। यह हमेशा से बीजेपी का एजेंडा रहा है, अब अयोध्या में मंदिर बन गया। जो लक्ष्य बीजेपी इतने सालों से लेकर चली थी, जिसके लिए रथ यात्रा निकाली थी और हिंदुओं के वोट को एकत्रित किया था। अब मंदिर बन गया और उस लक्ष्य की प्राप्ति हो गई, हालांकि यह बात और है कि, इस बार बीजेपी अयोध्या सीट हार गई।

गुजर चुकी अयोध्या की झांकी

The Big Picture With RKM :  अब अयोध्या की झांकी गुजर चुकी है। अब पार्टी को एक नई झांकी की जरूरत है। क्या कृष्ण और मथुरा को मुद्दा बनाकर बीजेपी इस जन्माष्टमी में मध्य प्रदेश की राजनीति में एक नया प्रयोग करके देख रही है? लगता तो ऐसा ही है। जिस प्रकार से मुख्यमंत्री मोहन यादव जन्माष्टमी में मध्य प्रदेश में कृष्ण तीर्थ को विकसित करने की बात कर रहे हैं। जिस तरह उन्होंने राज्य के सभी कलेक्टर कमिश्नर को आदेश दिया कि, 26 अगस्त को कृष्ण जन्म के अवसर पर हर जिले में जितने भी कृष्ण मंदिर हैं उनकी साफ सफाई हो, वहां पर समारोह आयोजित किए जाए। यही नहीं हर साल स्कूलों की छुट्टी होती थी उन छुट्टियों को भी निरस्त कर यह आदेश दिया गया कि, स्कूलों में भगवान कृष्ण की शिक्षा, उनकी मित्रता या उनके जीवन दर्शन के ऊपर समारोह आयोजित किए जाएं।

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मध्य प्रदेश में जिस तरीके से पहले राम वन गमन पथ की योजना लाई गई थी, अब कृष्ण पाथेय पर काम शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश में भगवान कृष्ण जिन जगहों से जुड़े हुए हैं उनको जोड़कर एक पूरा सर्किट बनाया जा रहा है। क्या मोहन इस कृष्ण को लेकर अपने हिंदू वोट को कंसोलिडेट करने की कोशिश कर रहे हैं? क्योंकि राहुल गांधी उधर जाति-जाति करते फिर रहे हैं। यह एक बार फिर से राजनीति का दोहराव हो सकता है। अब बीजेपी ऐसा प्रयोग कर रही है कि, अगर कृष्ण का मुद्दा मध्य प्रदेश में सफल होता है तो देश में भी इस मुद्दे पर अपने हिंदू वोट को जोड़ने में कामयाब हो। क्योंकि राहुल गांधी जब जाति जनगणना की बात करते हैं तो वे बीजेपी के हिंदू वोट को सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या बीजेपी ने यादव राजनीति को साधने मोहन यादव पर दांव खेला है? सीएम डॉ यादव को यादव राजनीति का नया पोस्टर बॉय बनाने की तैयारी है? क्या मोहन यादव को अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव को मात देने के लिए चुना गया है? क्या मोहन यादव के जरिए बिहार और यूपी की राजनीति में यादव और ओबीसी को साधने की तैयारी है? इन सवालों में ही जवाब छुपा हुआ है। कैसे सीएम चुनने के बाद मोहन यादव को यादव सम्मेलन के लिए बिहार भेजा गया। इसके बाद उन्हें यूपी में यादव सम्मेलन के लिए भेजा गया और किस तरीके से उन्होंने इस पूरे रीजन के यादवों को आह्वान किया कि, हमें एक साथ होना चाहिए।

The Big Picture With RKM : भले ही बीजेपी हिंदुओं का वोट एक साथ करने में सफल रही हो, लेकिन बिहार और यूपी में के यादव बिहार में  दूसरी पार्टी के नेताओं जैसे कि तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद यादव, या यूपी में मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव उनकी तरफ छिटक जाते थे। डॉक्टर मोहन यादव को एक ऐसा फेस बनाकर मैदान में उतारा गया कि, देखिए हमारे पास भी एक मुख्यमंत्री है, जो कि यादव है, ओबीसी से आता है, तेज तर्रार है। मोहन यादव को सीएम बनाकर बीजेपी ने इस चीज को बदलने की कोशिश की है। यह एक और प्रयोग है और डॉक्टर यादव ने भी यादव और ओबीसी की राजनीति में कृष्ण भक्ति का छौंका लगाकर एक नया एंगल दिया है। यह रणनीति एक अनूठा प्रयोग बन गया है। अब देखना होगा कि, आने वाले समय में यह प्रयोग कितना सफल होता है और क्या बीजेपी यादव और कृष्ण भक्ति के कॉम्बिनेशन को केंद्र में ले जाकर उसको और भुनाने की कोशिश करती है।

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