नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) दूरसंचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि कृत्रिम मेधा (एआई) भविष्य के दूरसंचार नेटवर्क के लिए एक आधारभूत प्रौद्योगिकी के रूप में काम करेगा और एआई-जनित प्रणालियां अनुभूतिपरक अनुभव, स्वायत्त संचालन और एकीकृत संवेदन जैसी नई सेवाओं को सक्षम करेंगी।
दूरसंचार विभाग में सदस्य (प्रौद्योगिकी) संजीव के बिदवई ने बुधवार को कहा कि सी-डॉट, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और अन्य प्रमुख शोध एवं विकास केंद्र स्वदेशी एआई-संचालित दूरसंचार प्रौद्योगिकियों पर काम कर रहे हैं।
बिदवई ने कहा, ‘‘आईटीयू-आर के दृष्टिपत्र एम.2160 के मुताबिक, भविष्य के नेटवर्क के लिए एआई एक महत्वपूर्ण अंशदाता होगा। इसमें बुद्धिमान रेडियो इंटरफेस प्रबंधन से लेकर व्यक्तिगत सेवा वितरण तक शामिल होंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मूल रूप से एआई पर आधारित नेटवर्क न केवल जटिलता का प्रबंधन करेंगे बल्कि नई सेवा सीमाओं, अनुभूतिपरक डिजिटल अनुभवों, स्वायत्त प्रणालियों, एकीकृत संवेदन को मूर्त रूप देंगे। यह विकास केवल प्रौद्योगिकी स्तरीय न होकर रणनीतिक है।’’
बिदवई ने यहां दूरसंचार नेटवर्क में एआई की भूमिका पर आयोजित एक बैठक में कहा कि भारत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे गतिशील दूरसंचार बाजारों में से एक है, जो एआई जनित समाधानों के लिए समृद्ध और विविध परीक्षण आधार प्रदान करता है।
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