आर्सेलर मित्तल को मार्च में समाप्त तिमाही में 228.50 करोड़ डालर का शुद्ध मुनाफा

आर्सेलर मित्तल को मार्च में समाप्त तिमाही में 228.50 करोड़ डालर का शुद्ध मुनाफा

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  • Publish Date - May 6, 2021 / 07:59 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:33 PM IST

नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) इस्पात क्षेत्र की सबसे बड़ी वैश्विक कंपनी आर्सेलर मित्तल ने बृहस्पतिवार को कहा कि 31 मार्च को समाप्त इस वर्ष की पहली तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 228.50 करोड़ डालर रहा।

कंपनी ने एक वक्तव्य में कहा कि पिछले साल इसी तिमाही में उसे 112 करोड़ डालर का शुद्ध घाटा हुआ था।

दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात विनिर्माता कंपनी ने कहा, ‘‘वर्ष 2021 की पहली तिमाही के दौरान आर्सेलर मित्तल का शुद्ध लाभ 228.50 करोड़ डालर रहा है। इससे पिछली तिमाही (पिछले वर्ष की चौथी तिमाही) में कंपनी का शुद्ध लाभ 120.70 करोड़ डालर रहा था जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में कंपनी को 112 करोड़ डालर का शुद्ध घाटा हुआ था।’’

वहीं इस दौरान आर्सेलर मित्तल की कुल बिक्री 1,619.30 करोड़ डालर की रही जो कि एक साल पहले इसी अवधि में 1,484.40 करोड़ डालर रही थी।

दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात विनिर्माता और खनन क्षेत्र की यह कंपनी जनवरी से दिसंबर के वर्ष का अनुसरण करती है। कंपनी का मुख्यालय लक्जमबर्ग में है।

आर्सेलर मित्तल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) आदित्य मित्तल ने कहा, ‘‘इस साल की पहली तिमाही हमारे लिये एक दशक में सबसे मजबूत रही है। चुनौतीपूर्ण 2020 के बाद स्वाभाविक रूप से यह स्वागत योग्य घटनाक्रम है। लेकिन इस बीच कोविड-19 की चुनौती को भुलाया नहीं जा सकता है। दुनियाभर में और खासतौर से विकासशील देशों में यह स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। सबसे ज्यादा भारत में इसको लेकर उभार देखा जा रहा है। भारत में हमारा एएम-एनएस इंडिया निप्पोन स्टील संयुक्त उद्यम है।’’

आर्सेलर मित्तल निप्पोन स्टील (एमएमएनएस) इंडिया, भारत में जहां भी आवश्यकता है दैनिक स्तर पर आक्सीजन की आपूर्ति कर रहा है। कंपनी के कारखानों से स्थानीय अस्पतालों को आक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है और इसके साथ ही अस्थाई चिकित्सा सुविधायें भी खड़ी की जा रही हैं। जहां तक परिचालन की बात है कंपनी के लिये वर्ष की शुरुआत अच्छी रही है।

इस कैलेंडर वर्ष में जनवरी से मार्च 2021 की अवधि में कंपनी का कच्चे इस्पात का उत्पादन 2.11 करोड़ टन रहा है जो कि एक साल पहले 1.76 करोड़ टन रहा था। वहीं इस दौरान 1.65 करोड़ टन इस्पात को जहाजों से बाहर भेजा गया जबकि एक साल पहले यह मात्रा 1.95 करोड़ टन रही थी।

भाषा

महाबीर

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