नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) केंद्र सरकार ने पेंशन वितरण करने वाले सभी बैंकों से बीमार और अस्पताल में भर्ती पेंशनभोगियों को जीवन प्रमाणपत्र जमा करने में मदद करने के लिए उनके पास ‘डोरस्टेप कार्यकारियों’ भेजने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है।
पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने एक आदेश में कहा है कि सभी बैंक 80 वर्ष और उससे अधिक आयु वाले अति-वरिष्ठ पेंशनभोगियों को डिजिटल माध्यम से जीवन प्रमाण-पत्र बनवाने को लेकर जागरूकता पैदा करने के प्रयास करें। चेहरे का सत्यापन करने वाली तकनीक के इस्तेमाल से पेंशनभोगियों का डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र बनाया जा सकता है।
दरअसल, सभी पेंशनभोगियों को अपनी पेंशन आगे भी पाने के लिए हर साल अपने जीवित होने का प्रमाण देना होता है जिसे ‘जीवन प्रमाणपत्र’ कहा जाता है। इस समय केंद्र सरकार के लगभग 69.76 लाख पेंशनभोगी हैं।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में बैंकों से कहा था कि वे अति वरिष्ठ पेंशनभोगियों को नवंबर के बजाय एक अक्टूबर से ही अपना जीवन प्रमाणपत्र देने की अनुमति दें। वहीं 80 साल से कम उम्र के पेंशनधारकों को अपना जीवन प्रमाणपत्र नवंबर में देना होता है।
डीओपीपीडब्ल्यू की तरफ से 25 सितंबर को जारी आदेश में कहा गया है कि चेहरे का सत्यापन करने वाली तकनीक से बनाए गए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) को अब हर पेंशनभोगी अपने घर से ही स्मार्टफोन के जरिये या बैंक शाखा में जमा करा सकता है।
आदेश के मुताबिक, बैंक डोरस्टेप बैंकिंग कार्यकारियों की नियुक्ति करके जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की सुविधा दे सकते हैं। बैंक 80 वर्ष से अधिक उम्र के पेंशनभोगियों को एक अक्टूबर से यह सुविधा देने का निर्देश अपनी शाखाओं को दे सकते हैं।
इस आदेश में बैंकों को डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र बनवाने की सुविधा के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न मंचों का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है। इस बारे में बैंक शाखाओं एवं एटीएम पर पोस्टर के जरिये सूचना दी जा सकती है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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