भारत-अमेरिका शुल्क मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत के रास्ते खुले: सरकारी सूत्र
भारत-अमेरिका शुल्क मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत के रास्ते खुले: सरकारी सूत्र
नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) भारत और अमेरिका के बीच बातचीत का रास्ता खुला है और दोनों देशों के दीर्घकालिक संबंधों को देखते हुए यह समस्या समय के साथ सुलझ जाएगी। सरकारी सूत्रों ने यह कहा।
भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क बुधवार से लागू हो जोने के साथ इससे अरबों डॉलर का भारतीय निर्यात खतरे में आ जाने के बीच यह बात कही गयी है।
सूत्रों ने कहा, ‘निर्यातकों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारतीय निर्यात की विविधता इस बढ़े हुए शुल्क के प्रभाव को कम कर सकती है।’
उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में अमेरिका को भारत का निर्यात 21.64 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 33.53 अरब डॉलर रहा है। यदि यह रुझान आगे भी कायम रहता है, तो पिछले वित्त वर्ष के 86.5 अरब डॉलर की वार्षिक निर्यात राशि को भी पार किया जा सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीद जारी रखने के जुर्माने के तौर पर भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी। यह शुल्क 27 अगस्त से लागू होने के साथ ही भारतीय आयात रपर कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो चुका है।
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने ‘फॉक्स बिजनेस’ के साथ बातचीत में भारत-अमेरिका संबंध को बेहद जटिल बताने के साथ ही उम्मीद जताई कि आखिरकार दोनों देश एक साथ आएंगे।
बेसेंट ने कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच व्यक्तिगत स्तर पर अच्छे संबंध हैं और यह केवल रूसी तेल का मामला नहीं है।’
इस बीच, सरकार ने निर्यातकों को सुरक्षा कवच देने के लिए कई कदम उठाने के संकेत दिए हैं। सूत्रों ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय इस सप्ताह रसायन, रत्न-आभूषण जैसे क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठकें आयोजित कर रहा है। इसके अतिरिक्त, बजट 2025–26 में घोषित ‘निर्यात संवर्धन मिशन’ पर तेजी से काम हो रहा है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘अगले दो-तीन दिनों में वाणिज्य मंत्रालय विविध क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ावा देने की योजनाओं पर संबंधित पक्षों से मुलाकात करेगा।’
दूसरी तरफ, सरकार ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे 40 देशों में वस्त्र निर्यात को बढ़ावा देने हेतु विशेष अभियान चलाने जा रही है। ये देश मिलकर 590 अरब डॉलर से अधिक कपड़ा व परिधान का आयात करते हैं, जबकि भारत की हिस्सेदारी महज पांच-छह प्रतिशत है।
व्यापार संगठनों ने चिंता जताई है कि ये उच्च शुल्क निर्यात की लागत को बढ़ाकर विश्व बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर कर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि बांग्लादेश और वियतनाम जैसे प्रमुख वस्त्र निर्यातकों को कम शुल्क का लाभ मिल रहा है।
परिधान निर्यात प्रोत्साहन परिषद (एईपीसी) के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि अमेरिका को 10.3 अरब डॉलर का निर्यात करने वाला वस्त्र क्षेत्र ट्रंप शुल्क से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला क्षेत्र है।
इसी तरह एक चमड़ा निर्यातक ने कहा कि अमेरिकी खरीदार पहले से दिए जा चुके ऑर्डर को बनाए रखने के लिए भी लगभग 20 प्रतिशत तक की छूट मांग रहे हैं।
शोध संस्थान ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने आगाह करते हुए कहा कि नए अमेरिकी शुल्क से भारतीय निर्यात का 66 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित होगा। ऐसी स्थिति में वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का अमेरिका को निर्यात घटकर 49.6 अरब डॉलर तक आ जाएगा।
निर्यात संगठनों ने सरकार से ऋण चुकाने में सहुलियत, पीएलआई योजनाओं का विस्तार, शीतगृहों एवं लॉजिस्टिक ढांचे में निवेश और यूरोपीय संघ, खाड़ी देशों एवं अफ्रीका के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर तेजी से कदम उठाने की मांग रखी है।
निर्यातक संगठनों के निकाय फियो ने कहा कि यह निर्यात जगत, रोजगार व वैश्विक व्यापार संबंधों को सुरक्षा प्रदान करने का समय है।
भाषा प्रेम रमण
रमण

Facebook



