कोविड संकट की वजह से 2020-22 के बीच वैश्विक विमानन उद्योग को 201 अरब डॉलर का नुकसान होगा: आईएटीए

कोविड संकट की वजह से 2020-22 के बीच वैश्विक विमानन उद्योग को 201 अरब डॉलर का नुकसान होगा: आईएटीए

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  • Publish Date - October 5, 2021 / 12:58 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:04 PM IST

(दीपक पटेल)

बोस्टन (अमेरिका), पांच अक्टूबर (भाषा) वैश्विक विमानन निकाय आईएटीए के महानिदेशक विली वॉल्श ने कहा कि कोविड-19 संकट के कारण वैश्विक विमानन उद्योग को 2020 से 2022 के बीच 201 अरब डॉलर का नुकसान होगा, हालांकि 2023 में वह वापस मुनाफे में आ सकता है।

वॉल्श ने सोमवार को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) की 77वीं वार्षिक आम बैठक में अपने भाषण के दौरान कहा, ‘हम संकट के सबसे गहरे स्तर से निकल चुके हैं। हालांकि गंभीर मुद्दे बने हुए हैं, वापसी का रास्ता दिखने लगा है।’

उन्होंने कहा कि कोविड​​​​-19 संकट की शुरुआत के लगभग दो साल बाद, विभिन्न सरकारों द्वारा लगाए गए व्यापक सीमा प्रतिबंधों का कोई औचित्य नहीं है।

वॉल्श ने कहा, ‘हम वित्त में सुधार देख रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि 2021 में नुकसान लगभग 52 अरब डॉलर होगा जबकि 2020 में 138 अरब डॉलर का भारी भरकम नुकसान हुआ था। 2022 में घाटा और कम होकर लगभग 12 अरब डॉलर हो जाएगा। 2023 में मुनाफे में लौटने से पहले कुल मिलाकर, कोविड-19 संकट से विमानन उद्योग को 201 अरब डॉलर का नुकसान होगा।’

वहीं आईएटीए के उप महानिदेशक कॉनराड क्लिफोर्ड ने सोमवार को कहा कि अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा अब भी संकटग्रस्त है और 2019 के स्तर की तुलना में 2021 में वह सिर्फ 22 प्रतिशत होगी।

उन्होंने आईएटीए की वार्षिक आम बैठक के दौरान यहां मीडिया से कहा, ‘सामंजस्यपूर्ण सीमा उपायों, प्रतिबंधों और प्रक्रियाओं की कमी (अंतर्राष्ट्रीय) यात्रा को फिर से शुरू ना कर पाने का एक प्रमुख कारण है।’

विमानन उद्योग के सूत्रों के अनुसार, इस समय भारत से कोविड से पहले की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित की जा रही हैं। वहीं कोविड से पहले की तुलना में देश में इस समय करीब 70 प्रतिशत घरेलू उड़ानें संचालित की जा रही हैं।

महामारी के कारण भारत में निर्धारित अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानें 23 मार्च, 2020 से निलंबित हैं। हालांकि, भारत ने लगभग 28 देशों के साथ ‘एयर बबल’ व्यवस्था के तहत विशेष उड़ानों की मंजूरी दी है।

भाषा प्रणव मनीषा

मनीषा