अस्पष्ट नीतिगत परिभाषा के कारण ‘लूट का लाइसेंस’ बन गई है डीएफआईए योजना : जीटीआरआई

अस्पष्ट नीतिगत परिभाषा के कारण ‘लूट का लाइसेंस’ बन गई है डीएफआईए योजना : जीटीआरआई

अस्पष्ट नीतिगत परिभाषा के कारण ‘लूट का लाइसेंस’ बन गई है डीएफआईए योजना : जीटीआरआई
Modified Date: August 17, 2025 / 03:50 pm IST
Published Date: August 17, 2025 3:50 pm IST

नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने रविवार को कहा कि निर्यातकों की लागत कम करने के लिए बनाई गई शुल्क-मुक्त आयात प्राधिकरण (डीएफआईए) योजना का कुछ कंपनियां दुरुपयोग कर रही हैं।

जीटीआरआई ने दावा किया कि अस्पष्ट नीतिगत परिभाषाओं, ढीले प्रवर्तन और न्यायिक व्याख्याओं के कारण यह योजना ‘लूट का लाइसेंस’ बन गई है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि अगर इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया, तो डीएफआईए का दुरुपयोग भारत की निर्यात प्रोत्साहन व्यवस्था में भरोसे को खत्म कर देगा।

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शोध संस्थान ने चिंता जताते हुए कहा कि अगर ऐसा जारी रहा तो ईमानदार निर्यातक कारोबार से बाहर हो जाएंगे।

इसमें कहा गया कि पिछले पांच वर्षों में जारी किए गए लाइसेंस का फॉरेंसिक ऑडिट और धोखाधड़ी वाले आयात से शुल्क की वसूली करने की तत्काल जरूरत है।

इस बारे में पूछने पर, वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) में ऐसी शिकायतों की जांच के लिए मानदंड समितियों का एक स्थायी तंत्र मौजूद है।

मंत्रालय ने कहा, ”यह भी प्रस्ताव किया जा रहा है कि पिछले पांच वर्षों में जिन आयात वस्तुओं के लिए डीएफआईए का लाभ उठाया गया है, उनकी जांच की जाए।”

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘अस्पष्ट नीतिगत परिभाषाओं, ढीले प्रवर्तन और वास्तविकता से परे न्यायिक व्याख्याओं के कारण व्यापारियों के एक गिरोह को सरकारी खजाना लूटने का मौका मिल गया है, जबकि नियामक कुछ नहीं कर रहे।’’

डीजीएफटी की यह योजना निर्यातकों को कच्चे माल का शुल्क मुक्त आयात करने की अनुमति देती है, बशर्ते इनका इस्तेमाल निर्यात के लिए उत्पादन करने में किया जाए।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय


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