Edible Oil Price: आम जनता को जोरदार झटका..! फिर बढ़े तेल-तिलहनों के दाम, यहां देखें ताजा रेट

Edible Oil Price: आम जनता को जोरदार झटका..! फिर बढ़े तेल-तिलहनों के दाम, यहां देखें ताजा रेट Cooking Oil Price

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  • Publish Date - May 23, 2024 / 08:52 PM IST,
    Updated On - May 23, 2024 / 08:53 PM IST

नई दिल्ली। विदेशी बाजारों में मजबूती के बीच देश के बाजारों में गुरुवार को सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में मजबूती आई। शिकॉगो एक्सचेंज कल रात लगभग 4.5 प्रतिशत से अधिक मजबूत बंद हुआ था और यहां अब भी सुधार चल रहा है। मलेशिया एक्सचेंज भी तेज है। बाजार सूत्रों ने कहा कि कल मंडियों में सरसों की आवक लगभग 6.50 लाख बोरी की हुई थी जो आज घटकर लगभग 5.65 लाख बोरी रह गई। सरसों तेल मिल वालों की जबर्दस्त मांग होने और सरसों की पाइपलाइन खाली होने से सरसों तेल-तिलहन में पर्याप्त मजबूती आई।

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किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर बिक्री नहीं कर रहे हैं। उन्हें सरकार की ओर से इस दिशा में किसी पहल की उम्मीद है ताकि उन्हें लागत से अच्छा दाम मिले। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति के कारण, आगे जाकर तेल-तिलहन की दिक्कत बढ़ेगी क्योंकि किसान घाटे में रहने और फसल के नहीं खपने की स्थिति को झेलने के बजाय किसी लाभ देने वाली फसल की खेती की ओर जा सकते हैं। सस्ते आयातित तेलों के थोक भाव कम होने की वजह से अधिक लागत वाले देशी तेल-तिलहनों के नहीं खपने की जो स्थिति इस बार किसानों ने देखी है, उससे तिलहन किसानों को खासी परेशानी सहनी पड़ी है।

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एक ओर जहां आयातित तेलों के थोक दाम कम होने से देशी तेल-तिलहनों की ऊंची लागत वाली फसल कीमतों पर दबाव बढ़ गया है, वहीं दूसरी ओर खुदरा बाजार में इन्हीं सस्ते आयातित तेलों के दाम नीचे आने का नाम नहीं ले रहे हैं। अलग-अलग कंपनियां भिन्न-भिन्न अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के कारण उपभोक्ताओं को महंगे दाम पर इन्हीं सस्ते खाद्य तेलों को बेच रही हैं। इसपर अभी तक कोई प्रभावी अंकुश नहीं लग पाया है जिसके कारण उपभोक्ता महंगे दाम पर खाद्य तेल खरीदने के लिए विवश हो रहे हैं।

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सूत्रों ने कहा कि इस हालात को देखते हुए आगे जाकर खाद्य तेलों के मामले में दिक्कत आ सकती है और किसान मूंगफली, सोयाबीन, कपास आदि फसलों को बोने से कतरा सकते हैं। ऐसी स्थिति में कौन प्रवक्ता या प्रतिष्ठान खाद्य तेलों की कमी की जिम्मेदारी लेगा? उन्होंने कहा कि सबसे अधिक दिक्कत तो कपास और उससे मिलने वाले बिनौले की आ सकती है। बिनौले से हमें सालाना लगभग 130-140 लाख टन बिनौला खल प्राप्त होते हैं जिसे मवेशियों के आहार के लिए उपयोग में लाया जाता है। क्या नकली खल का बेअंकुश कारोबार इस प्रश्न से निपट सकता है?

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सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों की प्रति व्यक्ति खपत काफी कम है और अगर इसके दाम 50-60 रुपये बढ़ते हैं तो घरेलू बजट पर इसका मामूली असर होगा। जबकि इसके कारण जो खल और डी-आयल्ड केक (डीओसी) हमें मिलेगा उससे हमारे मवेशी पालन और मुर्गीपालन में सहूलियत पैदा होगी। उन्होंने कहा कि पत्र पत्रिकाओं में चिंता जताने वाले विशेषज्ञों की तेल महंगाई की चिंता तब कहीं बेहतर होगी जब वह तिलहन उत्पादन बढ़ाने का कोई बेहतर रास्ता सुझायें। उन्हें इस बारे में बताना चाहिये कि तमाम प्रयासों के बावजूद अब तक तिलहन उत्पादन क्यों नहीं बढ़ पाया और तेल-तिलहन मामले में देश की आयात पर निर्भरता क्यों बढ़ती जा रही है?

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे-

सरसों तिलहन – 6,050-6,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,150-6,425 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,750 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,230-2,530 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 12,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,940-2,040 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,940-2,055 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।

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सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,800 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,925 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,925 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,840-4,860 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,640-4,760 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

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