रोजगार सृजन के लिए छोटे उद्यमों, कौशल विकास पर जोर जरूरी: एनसीएईआर रिपोर्ट

रोजगार सृजन के लिए छोटे उद्यमों, कौशल विकास पर जोर जरूरी: एनसीएईआर रिपोर्ट

रोजगार सृजन के लिए छोटे उद्यमों, कौशल विकास पर जोर जरूरी: एनसीएईआर रिपोर्ट
Modified Date: December 11, 2025 / 09:20 pm IST
Published Date: December 11, 2025 9:20 pm IST

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने और श्रमबल की उत्पादकता सुधारने के लिए भारत को मौजूदा बाधाओं को दूर करना होगा। आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर की बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की रोजगार संभावनाओं पर केंद्रित रिपोर्ट कहती है कि गुणवत्तापूर्ण रोजगार के लिए कौशल विकास और छोटे उद्यमों को मजबूत बनाना बेहद जरूरी है।

इस रिपोर्ट को प्रोफेसर फरजाना अफरीदी और उनकी शोध टीम ने तैयार किया है।

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अध्ययन के मुताबिक, हाल के वर्षों में रोजगार में बढ़ोतरी का बड़ा हिस्सा स्व-रोजगार से आया है। इसका मतलब है कि लोग नौकरियों की कमी के कारण खुद की छोटी इकाइयां चला रहे हैं, न कि उद्यमिता की भावना के कारण।

रिपोर्ट कहती है कि कौशलयुक्त श्रमबल की ओर बढ़ने की रफ्तार अभी बहुत धीमी है।

एनसीएईआर के वाइस चेयरमैन मनीष सबरवाल ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय का 128वें स्थान पर होना बताता है कि समावेशी विकास और रोजगार को प्राथमिकता देना आवश्यक है।

रिपोर्ट कहती है कि देश की बड़ी चुनौती असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे करोड़ों घरेलू उद्यम हैं, जिनमें पूंजी, प्रौद्योगिकी और उत्पादकता का स्तर बहुत कम है।

प्रोफेसर अफरीदी ने कहा, “भारत में स्व-रोजगार का बढ़ना आर्थिक मजबूरी है। छोटे किसानों की तरह, छोटे उद्यम भी न्यूनतम साधनों पर जीवित रहते हैं। भारत का रोजगार भविष्य इन्हीं सबसे छोटे उद्यमों की उत्पादकता बढ़ाने से जुड़ा है।”

रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाले उद्यम औसतन 78 प्रतिशत अधिक लोग नौकरी पर रखते हैं। वहीं, कर्ज की उपलब्धता में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी से कर्मचारियों की संख्या में 45 प्रतिशत तक इजाफा हो सकता है।

अध्ययन के मुताबिक, रोजगार सृजन में सबसे अधिक बढ़त मध्यम-कौशल वाली नौकरियों, खासकर सेवा क्षेत्र में में हुई है जबकि विनिर्माण क्षेत्र अब भी अधिकतर कम-कौशल पर ही आधारित है।

रिपोर्ट कहती है कि अगर कौशल-युक्त कार्यबल का हिस्सा 12 प्रतिशत बढ़ाया जाए, तो 2030 तक श्रम-प्रधान क्षेत्रों में रोजगार 13 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। वहीं कौशलयुक्त श्रमिक-बल में नौ प्रतिशत वृद्धि से वर्ष 2030 तक 93 लाख नई नौकरियां पैदा हो सकती हैं।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण


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