‘असंगठित’ श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा दायरे का विस्तार होगा 2023 में सरकार की प्राथमिकता

‘असंगठित’ श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा दायरे का विस्तार होगा 2023 में सरकार की प्राथमिकता

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Modified Date: December 27, 2022 / 12:45 PM IST
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Published Date: December 27, 2022 12:45 pm IST
‘असंगठित’ श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा दायरे का विस्तार होगा 2023 में सरकार की प्राथमिकता

(के के शंकर)

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा दायरे का विस्तार और राज्यों को श्रम संहिता के लिए नियम बनाने को प्रेरित करना 2023 में सरकार के लिए प्रमुख प्राथमिकताएं होंगी। देश के श्रम बाजार को मजबूत बनाने के प्रयासों के तहत सरकार अपनी इन प्राथमिकताओं को पूरा करने पर विशेष ध्यान देगी।

भारत अगले साल पहली बार जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए तैयार है। ऐसे में केंद्रीय श्रम मंत्रालय वैश्विक स्तर पर कौशल में अंतर, अस्थायी और मंच अर्थव्यवस्था, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमारा प्रयास 2023 में बड़ी संख्या में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में लाने और उन्हें उनकी पात्रता के हिसाब से लाभ ऑनलाइन उपलब्ध कराना है। हम मंत्रालय में प्रक्रियाओं को कागज रहित बनाना चाहते हैं।’’

सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध, मजदूरी, और व्यावसायिक सुरक्षा स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों (ओएसएच) पर चार श्रम संहिताओं को संसद द्वारा पहले ही मंजूरी दे दी गई है, लेकिन उन्हें तभी लागू किया जा सकता है जब केंद्र और राज्य संबंधित नियमों को अधिसूचित करें, क्योंकि श्रम एक समवर्ती विषय है।

केंद्र नियमों के साथ तैयार है, जबकि कुछ राज्यों में अभी नियम बनाने की कवायद पूरी नहीं हुई है। 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने वेतन संहिता, 2019 के लिए नियमों का मसौदा जारी किया है। वहीं 28 राज्यों में से प्रत्येक ने औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता के लिए इस प्रक्रिया को पूरा किया है। 26 ऐसे राज्य हैं जिन्होंने ओएसएच संहिता, 2020 के तहत नियमों का मसौदा जारी किया है।

केंद्र इन चार संहिताओं के क्रियान्वयन के लिए राज्यों के साथ काम कर रहा है। ये संहिताएं असंगठित क्षेत्र के सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।

यादव ने कहा, ‘‘भारत में एक संघीय ढांचा है। श्रम एक समवर्ती विषय है। हमने चार श्रम संहिताओं पर पहले से ही मसौदा नियम प्रकाशित किए हैं। राज्य इस प्रक्रिया को पूरा करने की प्रक्रिया में हैं। हम उन्हें प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि इन संहिताओं को उचित समय पर लागू कर दिया जाएगा।’’

ये चार संहिताएं श्रमिकों के लिए उपलब्ध संरक्षण को मजबूत करने मसलन असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सांविधिक न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित हैं। ये संहिताएं श्रमिकों को न्यूनतम और समय पर भुगतान का सांविधिक अधिकार भी प्रदान करती हैं।

भाषा अजय अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)