चालू वित्त वर्ष में प्रयोगशाला में विकसित हीरों का निर्यात सात से नौ प्रतिशत बढ़ेगा : रिपोर्ट

चालू वित्त वर्ष में प्रयोगशाला में विकसित हीरों का निर्यात सात से नौ प्रतिशत बढ़ेगा : रिपोर्ट

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  • Publish Date - May 6, 2024 / 07:39 PM IST,
    Updated On - May 6, 2024 / 07:39 PM IST

मुंबई, छह मई (पीटीआई) प्रयोगशाला में विकसित किये गए हीरों का निर्यात वर्ष 2024-25 में साते से नौ प्रतिशत बढ़कर 150-153 करोड़ डॉलर होने की उम्मीद है क्योंकि प्राकृतिक रूप से खनन किए गए हीरों की मांग सुस्त बनी हुई है। सोमवार को केयरएज एडवाइजरी की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कम लागत के कारण इस वित्त वर्ष में घरेलू खपत और मानव निर्मित हीरों के निर्यात दोनों में वृद्धि होने की उम्मीद है।

केयरएज की विश्लेषण और सलाहकार निदेशक तन्वी शाह ने कहा, ‘‘एलजीडी (लैब में विकसित हीरे) निर्यात में 7-9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ इसके चालू वित्त वर्ष में 150-153 करोड़ डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर चल रहे भू-राजनीतिक और आर्थिक व्यवधानों का सामना करते हुए, रत्न और आभूषण उद्योग प्राकृतिक हीरे की कम मांग के प्रभावों को कम करने के लिए तेजी से बढ़ते एलजीडी बाजार पर निर्भर है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे चलकर एलजीडी की मांग 2024-25 में फिर से बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि प्राकृतिक रूप से खनन किए गए हीरे की मांग सुस्त रह सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका श्रेय इसकी कीमत, पर्यावरणीय स्थिरता और अन्य प्रमुख एलजीडी उत्पादक देशों के खिलाफ भारत से तीव्र प्रतिस्पर्धा को दिया जाता है।

भारत प्रतिवर्ष 30 लाख से अधिक, प्रयोगशाला में उगाए गए, हीरे का उत्पादन करता है और वैश्विक उत्पादन में उसकी हिस्सेदारी 15 प्रतिशत है। वर्तमान में देश चीन के बाद प्रयोगशाला में उगाए गए हीरे का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

चीन और भारत के अलावा अमेरिका, सिंगापुर और रूस जैसे देश भी प्रयोगशाला में विकसित किये गये हीरे के अग्रणी निर्माता हैं।

वर्ष 2022 में भारत में प्रयोगशाला में विकसित किये गए हीरे के आभूषणों का बाजार 26.45 करोड़ डॉलर का था और घरेलू प्रयोगशाला में विकसित किये गए हीरे के बाजार का अपेक्षित मूल्य 30 करोड़ डॉलर है।

केयरएज एनालिटिक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दिनों में एलजीडी की कीमत में गिरावट के कारण भारत से प्रमुख निर्यात गंतव्यों को इसका निर्यात बढ़ा है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय