सरकार आईओबी में तीन प्रतिशत हिस्सा बेचने के लिए ‘ग्रीन शू’ विकल्प का इस्तेमाल करेगी
सरकार आईओबी में तीन प्रतिशत हिस्सा बेचने के लिए 'ग्रीन शू' विकल्प का इस्तेमाल करेगी
नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) सरकार ने बुधवार को इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) में बिक्री पेशकश के जरिए अधिकतम तीन प्रतिशत हिस्सा बेचने के लिए ‘ग्रीन शू’ विकल्प यानी अतिरिक्त बोली आने पर उसके इस्तेमाल का फैसला किया।
यह फैसला बिक्री पेशकश (ओएफएस) को पहले दिन निवेशकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिलने के बाद लिया गया है।
आईओबी का ओएफएस बुधवार को गैर-खुदरा निवेशकों के लिए 34 रुपये प्रति शेयर के निचले मूल्य पर बोली के लिए खुला।
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव अरुणीश चावला ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, ”आज इंडियन ओवरसीज बैंक की बिक्री पेशकश को गैर-खुदरा निवेशकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली। करीब 34.66 करोड़ शेयरों की पेशकश के मुकाबले 41 करोड़ से ज्यादा शेयरों की मांग आई। सरकार ने ‘ग्रीन शू’ विकल्प के इस्तेमाल का फैसला किया है। खुदरा निवेशक 18 दिसंबर 2025 को बोली लगा सकेंगे।”
इस समय सरकार की चेन्नई स्थित इस बैंक में 94.61 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
आईओबी ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि कि सरकार मूल पेशकश के तहत दो प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर 38.51 करोड़ शेयर बेचेगी। इसके अलावा ‘ग्रीन शू’ विकल्प यानी अतिरिक्त बोली आने पर अतिरिक्त एक प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर 19.25 करोड़ शेयर भी बेचने का विकल्प रखा गया है। कुल मिलाकर यह बैंक की चुकता इक्विटी पूंजी का तीन प्रतिशत है।
बैंक ने यह भी बताया कि ओएफएस के तहत 1.5 लाख शेयर (करीब 0.001 प्रतिशत हिस्सेदारी) पात्र कर्मचारियों के लिए आरक्षित किए जा सकते हैं। पात्र कर्मचारी सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी होने पर अधिकतम पांच लाख रुपये तक के शेयरों के लिए आवेदन कर सकेंगे।
यह विनिवेश न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी नियमों के अनुरूप है, जिसके तहत सूचीबद्ध कंपनियों में कम-से-कम 25 प्रतिशत हिस्सेदारी आम जनता के पास होना अनिवार्य है।
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों को इस नियम पर खरा उतरने के लिए अगस्त, 2026 तक की छूट दी है।
आईओबी के अलावा पंजाब एंड सिंध बैंक (93.9 प्रतिशत), यूको बैंक (91 प्रतिशत) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (89.3 प्रतिशत) में भी सरकार की हिस्सेदारी तय सीमा से अधिक है।
भाषा पाण्डेय रमण
रमण

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