नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) सरकार संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून आयोग के मॉडल कानून के आधार पर एक सीमा पार दिवाला समाधान ढांचा पेश करने की तैयारी कर रही है। इसे कॉरपोरेट देनदारों के साथ-साथ इस तरह के देनदारों को व्यक्तिगत गारंदी देने वाले दोनों के लिए लागू करने का प्रस्ताव है।
दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) को लागू करने वाले कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने ढांचे के मसौदे पर 15 दिसंबर तक टिप्पणी मांगी है।
व्यापक रूप से सीमा पार दिवाला प्रक्रिया उन देनदारों से संबंधित है जिनके पास विदेशों में संपत्ति और लेनदार हैं।
मंत्रालय के अनुसार, पिछले कुछ दशकों के दौरान, विभिन्न न्यायालयों में, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून आयोग (यूएनसीआईटीआरएएल) मॉडल कानून के तहत सीमा पार दिवाला मुद्दों से निपटने के लिए मजबूत संस्थागत व्यवस्था करने की जरूरत तेजी से सामने आयी है।
सीमा-पार दिवाला पर यूएनसीआईटीआरएएल मॉडल कानून, 1997, सीमा-पार दिवाला मुद्दों से निपटने के लिए सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत कानूनी ढांचा है। कानून एक विधायी ढांचा प्रदान करता है जिसे अधिनियमित क्षेत्राधिकार के घरेलू संदर्भ के अनुरूप संशोधनों के साथ देशों द्वारा अपनाया जा सकता है।
इसे सिंगापुर, ब्रिटेन, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका समेत लगभग 50 देशों में अपनाया गया है।
भाषा प्रणव रमण
रमण
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
चालू वित्त वर्ष में अबतक जीईएम मंच से खरीद का…
47 mins ago