दक्षिण अफ्रीका में बिकने वाली आधी कारों का भारत से है नाताः रिपोर्ट
दक्षिण अफ्रीका में बिकने वाली आधी कारों का भारत से है नाताः रिपोर्ट
(फाकिर हसन)
जोहानिसबर्ग, 30 दिसंबर (भाषा) इस साल दक्षिण अफ्रीका में बिकने वाली आधी कारें किसी-न-किसी रूप में भारत से संबंधित हैं। ये कारें या तो महिंद्रा एवं टाटा जैसी भारतीय कंपनियों द्वारा विनिर्मित हैं या फिर इन कारों के कलपुर्जे भारत में बने हुए हैं। बाजार सूचना फर्म लाइटस्टोन की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, बिक्री आंकड़ों से पता चलता है कि दक्षिण अफ्रीका में महिंद्रा एंड महिंद्रा ने, खासकर अपनी ‘पिकअप’ शृंखला के जरिये अग्रणी भूमिका निभाई है।
लाइटस्टोन ने कहा कि वर्ष 2024 में दक्षिण अफ्रीका में बिकने वाले जापानी कार कंपनियों के 84 प्रतिशत हल्के वाहन भारत से आयात किए गए थे, जबकि केवल 10 प्रतिशत वाहन ही वास्तविक रूप से जापान में विनिर्मित थे।
आमतौर पर चीनी ब्रांडों की बढ़ती मौजूदगी को स्थानीय वाहन निर्माताओं के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जाता है, लेकिन इन आंकड़ों से पता चलता है कि दक्षिण अफ्रीका में आयातित अधिकांश कारों का वास्तविक स्रोत भारत है।
रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण अफ्रीका में बिकने वाले कुल वाहनों में से 36 प्रतिशत वाहन भारत से सीधे या जापानी और कोरियाई स्थापित ब्रांडों के जरिए परोक्ष रूप से आयात किए गए थे। यह हिस्सेदारी स्थानीय स्तर पर उत्पादित वाहनों के 37 प्रतिशत योगदान से थोड़ी ही कम है।
लाइटस्टोन के आंकड़ों का हवाला देते हुए ‘इंडिपेंडेंट ऑनलाइन’ वेबसाइट ने कहा है कि यदि पिकअप और हल्के वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री को अलग कर दिया जाए, तो 2025 की पहली छमाही में दक्षिण अफ्रीकी बाजार में भारत की हिस्सेदारी लगभग आधी हो गई।
लाइटस्टोन के मुताबिक, वर्ष 2025 के पहले पांच महीनों में कुल यात्री वाहन बिक्री में से 49 प्रतिशत वाहन भारत से आयात किए गए थे। इनमें से अधिकांश वाहन भारत में मारुति सुजुकी के परिचालन से आते हैं।
लाइटस्टोन के वाहन विश्लेषक एंड्रयू हिबर्ट ने कहा, “भारत से आने वाले वाहनों की बिक्री में वृद्धि का श्रेय इस तथ्य को दिया जा सकता है कि बड़ी संख्या में वाहन विनिर्माता अब भारत में उत्पादन कर रहे हैं, जहां श्रम और कुल विनिर्माण लागत अपेक्षाकृत कम है।”
विश्लेषकों ने कहा कि इस रुझान से खरीदारों को कीमतों में राहत मिल रही है, लेकिन यह स्थानीय वाहन उद्योग के लिए चिंता का विषय है।
भाषा प्रेम
प्रेम रमण
रमण

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