आईपीओ में बिक्री पेशकश की अधिक हिस्सेदारी कोई नई प्रवृत्ति नहींः सेबी चेयरमैन

आईपीओ में बिक्री पेशकश की अधिक हिस्सेदारी कोई नई प्रवृत्ति नहींः सेबी चेयरमैन

आईपीओ में बिक्री पेशकश की अधिक हिस्सेदारी कोई नई प्रवृत्ति नहींः सेबी चेयरमैन
Modified Date: December 17, 2025 / 10:15 pm IST
Published Date: December 17, 2025 10:15 pm IST

मुंबई, 17 दिसंबर (भाषा) आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में ताजा वित्त पोषण के बजाय कंपनियों के शुरुआती निवेशकों की तरफ से बिक्री पेशकश (ओएफएस) की हिस्सेदारी अधिक होने को लेकर उठ रही चिंताओं के बीच सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने बुधवार को कहा कि इस मुद्दे को पूंजी निर्माण के व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख ने यहां संवाददाताओं से कहा कि शुरुआती निवेशकों का कंपनी से बाहर हो जाना कोई नई या असामान्य प्रवृत्ति नहीं है।

पांडेय ने कहा कि अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान आईपीओ के जरिये जुटाई गई कुल राशि में ओएफएस का हिस्सा 51 प्रतिशत था, जो चालू वर्ष में बढ़कर 57 प्रतिशत हो गया है।

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उन्होंने कहा, “ऐसे में यह कहना कि कोई असाधारण घटना हो रही है, तथ्यों से मेल नहीं खाता है।”

सेबी के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश वार्ष्णेय ने भी कहा कि निवेशकों के लिए निकासी के रास्ते जरूरी हैं और इनके बिना भारत को आवश्यक निवेश नहीं मिल पाएगा।

हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने आईपीओ में ओएफएस के बढ़ते हिस्से पर चिंता जताते हुए कहा था कि इससे आईपीओ शुरुआती निवेशकों के लिए निकास का माध्यम बनते जा रहे हैं, जिससे सार्वजनिक बाजारों की मूल भावना कमजोर होती है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सेबी प्रमुख ने कहा कि पूंजी एक प्रवाहशील संसाधन है, जो कंपनी की यात्रा के किसी भी चरण में आ सकती है।

उन्होंने कहा, ‘पूंजी निर्माण के अलग-अलग मॉडल हो सकते हैं और कोई भी एक अकेला मॉडल नहीं है।’

भारत के पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि देश में ऐसी स्थितियों से निपटने की परिपक्वता है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण


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