ब्रिटेन के प्रस्तावित कार्बन कर से निर्यात प्रभावित होने पर भारत को कदम उठाने का अधिकार: सूत्र
ब्रिटेन के प्रस्तावित कार्बन कर से निर्यात प्रभावित होने पर भारत को कदम उठाने का अधिकार: सूत्र
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते में ब्रिटेन के प्रस्तावित कार्बन कर पर कोई प्रावधान शामिल नहीं है, लेकिन अगर भविष्य में ऐसा कोई कर लगाया जाता है, तो भारत को कदम उठाने का अधिकार होगा। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
ब्रिटेन सरकार ने दिसंबर 2023 में 2027 से अपने कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) को लागू करने का फैसला किया था।
सूत्रों ने बताया कि भारत ने व्यापार समझौते पर बातचीत के दौरान इस मुद्दे को उठाया था। व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) पर 24 जुलाई को हस्ताक्षर किए गए थे, जिसका मकसद 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 56 अरब अमेरिकी डॉलर से दोगुना करना है।
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा समझौते में नहीं है, क्योंकि ब्रिटेन ने अभी तक कर को अधिसूचित नहीं किया है।
सूत्रों ने कहा, ”लेकिन अगर इसे लागू किया जाता है और अगर यह समझौते के तहत भारत के व्यापारिक लाभों को नुकसान पहुंचाता है, तो भारत को इसे से संतुलित करने की आजादी होगी। इस पर सहमति बनी है।”
उन्होंने कहा, ”यह सहमति बनी है कि अगर ब्रिटेन भविष्य में इसे भारत के खिलाफ लागू करता है, तो हमें भी जवाबी संतुलन के उपाय करने का अधिकार होगा… भारत रियायतें वापस ले सकता है, और इसके लिए एक व्यवस्था होगी।”
आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने कहा कि सीबीएएम पर कोई छूट नहीं होने से भारत ने अपने कार्बन आधारित निर्यातों की रक्षा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर खो दिया है।
जीटीआरआई ने मई में कहा था कि ब्रिटेन द्वारा 2027 से लोहा और इस्पात, एल्युमीनियम, उर्वरक और सीमेंट जैसे उत्पादों पर कार्बन कर लगाने के फैसले के कारण ब्रिटेन को भारत का 77.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है।
भारत ने पहले इस कर पर गंभीर चिंता जताई थी और इसे व्यापार बाधा बताया था।
भाषा पाण्डेय रमण
रमण

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