नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) भारत ने बुधवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्यों को खाद्यान्नों के सार्वजनिक भंडारण से संबंधित मुद्दों सहित पिछले मंत्रिस्तरीय निर्देशों के अनुपालन में देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे खाद्य सुरक्षा की स्थिति बिगड़ेगी और मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा।
एक अधिकारी ने बताया कि जिनेवा में डब्ल्यूटीओ की कृषि समिति की एक अनौपचारिक बैठक के दौरान भारत ने संकेत दिया कि 14वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन से पहले प्राथमिक चिंता खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और आजीविका की रक्षा करना होनी चाहिए।
भारत ने कृषि समर्थन में लचीलेपन की जरूरत पर बल देते हुए इन मुद्दों के यथार्थवादी समाधान का आह्वान किया।
डब्ल्यूटीओ के सदस्य इस बात पर सहमत हुए हैं कि 14वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी-14) का आयोजन कैमरून में 26 से 29 मार्च, 2026 तक होगा।
डब्ल्यूटीओ के शीर्ष निकाय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन हर दो साल में एक बार होता है। पिछली बैठक 2024 में अबू धाबी में हुई थी।
जिनेवा स्थित एक व्यापार अधिकारी ने कहा, ‘पीएसएच (सार्वजनिक भंडारण) और एसएसएम (विशेष सुरक्षा तंत्र) जैसे मुद्दों पर पिछले मंत्रिस्तरीय आदेश पर निर्णय में देरी भूख की समस्या को बढ़ाती है और मानवाधिकारों का उल्लंघन करती है।’
उन्होंने कहा कि मौजूदा समझौते के प्रावधान पुरानी सब्सिडी प्रणालियों वाले विकसित देशों के पक्ष में हैं, त्रुटिपूर्ण हैं और मुद्रास्फीति को ध्यान में नहीं रखते हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘विकसित देश बिना किसी सीमा के पर्याप्त सहायता प्रदान कर सकते हैं, जबकि अल्पविकसित सहित विकासशील देश प्रतिबंधात्मक नीतियों के कारण न्यूनतम सहायता देने के लिए भी संघर्ष करते हैं।’
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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