मुंबई, 30 जून (भाषा) कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2020- 21 के दौरान देश के चालू खाते में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले 0.9 प्रतिशत का अधिशेष रहा । जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में इस खाते में जीडीपी के 0.9 प्रतिशत के बराबर का घाटा हुआ था।
देश का चालू खाते का घाटा मार्च 2021 में समाप्त तिमाही के दौरान बढ़कर 8.1 अरब डालर यानी जीडीपी के एक प्रतिशत पर पहुंच गया। एक साल पहले इसी तिमाही में 0.6 अरब डालर यानी जीडीपी के 0.1 प्रतिशत अधिशेष था। इससे पिछली दिसंबर तिमाही में 0.3 प्रतिशत का घाटा दर्ज किया गया था।
चालू खाते का घाटा विदेशों के साथ लेनदेन के मामले में देश की स्थिति को दर्शाता है। देश में विदेशी मुद्रा की कुल प्राप्ति और देश से बाहर होने वाले कुल भुगतान के अंतर को चालू खाता घाटा कहते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक व्यापार घाटे में तेज गिरावट आने से देश का चालू खाते का घाटा अधिशेष में पहुंच गया। वर्ष 2019- 20 में व्यापार घाटा जहां 157.5 अरब डालर पर था वहीं यह पिछले वित्त वर्ष में घटकर 102.2 अरब डालर रहा।
केंद्रीय बैंक के मुताबिक महामारी के बावजूद पिछले वित्त वर्ष 2020- 21 में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह 44 अरब डालर का रहा जो कि इससे पिछले साल के 43 अरब डालर के मुकाबले अधिक रहा। इस दौरान शुद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश भी बढ़कर 36.1 अरब डालर रहा जो कि एक साल पहले 2019- 20 में 1.4 अरब डालर रहा था। वहीं भारतीय कंपनियों की बाह्य वाणिज्यिक कर्ज के रूप में 0.2 अरब डालर की राशि देश में आई जबकि इससे पिछले साल कंपनियों ने 21.7 अरब डालर का कर्ज विदेशों लिया था।
रिजर्व बैंक के मुताबिक भुगतान संतुलन के आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार में 87.3 अरब डालर का सुधार हुआ।
केन्द्रीय बैंक के मुताबिक मार्च तिमाही में चालू खाते का घाटा प्राथमिक तौर पर ऊंचे व्यापार घाटे और पिछले साल के मुकाबले अदृश्य प्राप्तियों के मद में प्राप्ति कम होने के कारण ऊंचा रहा।
भाषा
महाबीर मनोहर
मनोहर
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