बीते वित्त वर्ष सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से कुल निर्यात बढ़कर रिकॉर्ड 825 अरब डॉलर पर

बीते वित्त वर्ष सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से कुल निर्यात बढ़कर रिकॉर्ड 825 अरब डॉलर पर

बीते वित्त वर्ष सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से कुल निर्यात बढ़कर रिकॉर्ड 825 अरब डॉलर पर
Modified Date: May 1, 2025 / 08:17 pm IST
Published Date: May 1, 2025 8:17 pm IST

नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) भारत का वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में 825 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। पिछले वित्त वर्ष में वैश्विक व्यापार बाधाओं के बावजूद सेवा निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि के साथ इसके 386.5 अरब डॉलर तक पहुंचने के कारण कुल निर्यात बढ़ा है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

रिजर्व बैंक द्वारा मार्च के सेवा निर्यात के आंकड़े जारी करने के बाद, 15 अप्रैल को घोषित वित्त वर्ष 2024-25 के लिए देश के कुल निर्यात अनुमान को संशोधित कर 824.9 अरब डॉलर कर दिया गया है। इससे पहले इसके 820.93 अरब डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया था। वित्त वर्ष 2023-24 में कुल निर्यात 778.13 अरब डॉलर का हुआ था।

आंकड़ों से पता चला है कि वित्त वर्ष 2024-25 में सेवा निर्यात 13.6 प्रतिशत बढ़कर 387.5 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 341.1 अरब डॉलर था।

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मार्च में, सेवा निर्यात 18.6 प्रतिशत बढ़कर 35.6 अरब डॉलर रहा, जबकि मार्च 2024 में यह 30 अरब डॉलर था।

निर्यात वृद्धि में योगदान देने वाले मुख्य क्षेत्रों में दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाएं, परिवहन, यात्रा और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं।

मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘ भारत का कुल निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में 6.01 प्रतिशत बढ़कर ऐतिहासिक 824.9 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष में 778.1 अरब डॉलर था।’’

भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि आंकड़े निर्यातकों की मजबूती को दर्शाते हैं।

हालांकि, उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में, ऑर्डर की संख्या अमेरिका और यूरोप से अच्छी नहीं है। अमेरिकी आयातक व्यापार समझौते का इंतजार कर रहे हैं और इससे हमारे निर्यात पर असर पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि सरकार को निर्यातकों के लिए ब्याज सहायता योजना की तुरंत घोषणा करनी चाहिए।

रल्हन ने कहा कि देश में ब्याज दरें ऊंची हैं और वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धी बनने के लिए, ‘‘हमें न्यूनतम पांच प्रतिशत ब्याज सहायता की आवश्यकता है।’’

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण


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