महुआ मोइत्रा एफपीआई के खुलासे पर सेबी के समक्ष प्रतिनिधित्व रखेंः उच्चतम न्यायालय

महुआ मोइत्रा एफपीआई के खुलासे पर सेबी के समक्ष प्रतिनिधित्व रखेंः उच्चतम न्यायालय

महुआ मोइत्रा एफपीआई के खुलासे पर सेबी के समक्ष प्रतिनिधित्व रखेंः उच्चतम न्यायालय
Modified Date: April 1, 2025 / 04:00 pm IST
Published Date: April 1, 2025 4:00 pm IST

नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा से कहा है कि वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) एवं विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की पोर्टफोलियो शेयरधारिता का सार्वजनिक खुलासा अनिवार्य किए जाने के लिए वह बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के समक्ष एक विस्तृत प्रतिनिधित्व रखें।

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मोइत्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

मोइत्रा ने इस याचिका में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से एआईएफ, एफपीआई और भारत में उनके मध्यस्थों के अंतिम लाभकारी मालिकों और पोर्टफोलियो के सार्वजनिक खुलासे को अनिवार्य करने का निर्देश देने की न्यायालय से मांग की थी।

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पीठ ने मोइत्रा की याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि सेबी के समक्ष ऐसा प्रतिनिधित्व रखे जाने के बाद उस पर कानून के हिसाब से विचार किया जाएगा।

मोइत्रा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि सेबी के नियमों के मुताबिक, सामान्य म्यूचुअल फंड और अन्य निवेशकों को यह खुलासा करना होता है कि निवेश करने वाले कौन हैं और वे किन कंपनियों में निवेश कर रहे हैं।

हालांकि, भूषण ने कहा कि एआईएफ और एफपीआई के मामले में इस तरह के किसी भी खुलासे की जरूरत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों का प्रबंधन करने वाली इकाइयों के लिए भी सार्वजनिक खुलासे का प्रावधान नहीं है।

इस पर पीठ ने याचिकाकर्ता को पहले सेबी के समक्ष अपनी मांग को लेकर पक्ष रखने को कहा। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर वाजिब समय के भीतर इस प्रतिनिधित्व पर विचार नहीं किया जाता है तो याचिकाकर्ता कानूनी विकल्प चुन सकता है।

मोइत्रा ने कहा कि उनकी जनहित याचिका में भारत के वित्तीय बाजारों में पारदर्शिता और निवेशक जागरूकता लाने के लिए अंतिम लाभकारी मालिकों के विवरण के साथ एआईएफ और एफपीआई की पोर्टफोलियो शेयरधारिता का सार्वजनिक खुलासा अनिवार्य करने की मांग की गई है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय


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