बड़े तेलमिलों के दाम घटाने से सरसों तेल-तिलहन के दाम टूटे |

बड़े तेलमिलों के दाम घटाने से सरसों तेल-तिलहन के दाम टूटे

बड़े तेलमिलों के दाम घटाने से सरसों तेल-तिलहन के दाम टूटे

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Modified Date: March 15, 2025 / 07:37 PM IST
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Published Date: March 15, 2025 7:37 pm IST

नयी दिल्ली, 15 मार्च (भाषा) सरसों के बड़े तेल मिलों द्वारा सरसों के हाजिर दाम तोड़े जाने के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों तेल-तिलहन के थोकदाम में गिरावट दर्ज हुई।

दूसरी ओर कल मलेशिया तेज होने और कम उपलब्धता के कारण मूंगफली तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल की थोक कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। वहीं किसानों द्वारा अधिक नीचे दाम पर बिकवाली से बचने तथा मांग होने के बीच सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि बड़ी तेल मिलें हाजिर दाम को तोड़ रही हैं। उनके दाम तोड़ने का मकसद किसानों का मनोबल तोड़कर उनसे सरसों सस्ते दाम पर खरीदना है। इन दिनों देखने को मिल रहा है कि सुबह के कारोबार में सरसों दाम टूटा है मगर शाम को दाम एक बार फिर से चढ़ जाता है क्योंकि इस बार सरसों का उत्पादन कम ही है। वहीं दिल्ली की नजफगढ मंडी में, जहां ज्यादातर छोटी तेल मिलें सरसों खरीदती हैं, सरसों के दाम में 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़त देखी गई।

उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से सरसों की खरीद कर किसानों को राहत और लाभकारी दाम सुनिश्चित करना चाहिये। ऐसा नहीं होने पर स्टॉकिस्ट तमाम तिकड़मों के जरिये सरसों का दाम तोड़कर सरसों को स्टॉक कर लेंगे और बाद में मनामाने दाम पर बेच सकते हैं। अभी भी सरसों तेल के खुदरा दाम ऊंचा यानी 155-160 रुपये लीटर है।

सूत्रों ने कहा कि मूंगफली का इस बार उत्पादन कम है। किसान अधिक नीचे दाम पर बेचने को राजी नहीं है जिसकी वजह से बाजार में आवक कम है। अगली फसल अक्टूबर-नवंबर में आयेगी। हल्की फुल्की मांग होने से मूंगफली तेल-तिलहन में भी सुधार है।

उन्होंने कहा कि बाजार में सीपीओ और पामोलीन का दाम पहले ही ऊंचा बना हुआ है। इस बीच विदेशों में कल इनके दाम एक प्रतिशत बढ़े हैं। इस वजह से पाम, पामोलीन के दाम में सुधार आया। हालांकि जब पहले के दाम पर सीपीओ, पामोलीन नहीं खप रहा था तो मौजूदा अधिक ऊंचे दाम पर लिवाली कमजोर बनी रहने की संभावना है।

सूत्रों ने कहा कि उत्पादन कम रहने की वजह से उत्तरी भारत में आवक काफी नगण्य रहने और मांग बढ़ने के कारण बिनौला तेल कीमतों में सुधार आया। सस्ता होने के कारण भी मांग बढ़ने से इसके दाम में सुधार को बल मिला।

उन्होंने कहा कि सूरजमुखी और पाम-पामोलीन के मंहगा होने के बीच सोयाबीन की मांग बढ़ने और कम दाम पर किसानों के बिकवाली से बचने के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन पूर्वस्तर पर बने रहे।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,110-6,210 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,700-6,025 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,450 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,240-2,540 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,325 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,350-2,450 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,350-2,475 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,925 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,575 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,825 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 13,150 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,750 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,825 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,725 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,150-4,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 3,850-3,900 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)