एनबीएफसी की एमएसएमई के कर्ज की पुनर्गठन योजना को मार्च, 2022 तक बढ़ाने की मांग

एनबीएफसी की एमएसएमई के कर्ज की पुनर्गठन योजना को मार्च, 2022 तक बढ़ाने की मांग

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  • Publish Date - April 18, 2021 / 09:51 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:21 PM IST

मुंबई, 18 अप्रैल (भाषा) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने भारतीय रिजर्व बैक से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के ऋण की एकबारगी पुनर्गठन योजना को 31 मार्च, 2022 तक बढ़ाने का आग्रह किया है। एनबीएफसी का कहना है कि एमएसएमई क्षेत्र अभी तक अपने कारोबार को उबार नहीं सका है।

पिछले साल फरवरी में रिजर्व बैंकने एमएसएमई के मौजूदा अग्रिम के एकबारगी पुनर्गठन की मंजूरी दी थी। उन्हीं एमएसएमई के ऋण का पुनर्गठन किया जाना था, जिनका ऋण ‘मानक’ है। इस योजना के क्रियान्वयन की समयसीमा 31 दिसंबर, 2020 तक थी।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास को हाल में लिखे पत्र में एनबीएफसी के संगठन वित्त उद्योग विकास परिषद (एफआईडीसी) ने कहा है कि कोविड की दूसरी लहर की वजह से एमएसएमई क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियां रफ्तार नहीं पकड़ पाई हैं, ऐसे में उन्हें ऋणदाताओं के समर्थन की जरूरत है।

एफआईडीसी ने लिखा है कि एमएसएमई और ऋणदाताओं के समक्ष चुनौतियों के मद्देनजर यदि रिजर्व बैंक पुनर्गठन योजना को कम से कम 31 मार्च, 2022 तक बढ़ाता है, तो इससे सबको राहत मिलेगी।

एनबीएफसी खुदरा और थोक कारोबारियों सहित मुख्य रूप से एमएसएमई क्षेत्र की ऋण की जरूरतों को पूरा करते हैं।

भाषा अजय अजय मनोहर

मनोहर